विश्वासघात दिवस मनाने का फैसला संयुक्त किसान मोर्च की बैठक में लिया गया था

आज किसान विश्वासघात दिवस मनाएंगे। उनका आरोप है कि केंद्र ने समझौते के बाद लिखित वादों को पूरा नहीं किया। इसलिए किसान आंदोलन से जुड़े संगठन प्रदर्शन कर केंद्र का ध्यान आकृष्ट करेंगे। किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से ज्यादा लंबा आंदोलन चलाया था। विवादित कानूनों की वापसी व सरकार के साथ समझौते के बाद आंदोलन खत्म हुआ था।  

विश्वासघात दिवस मनाने का फैसला संयुक्त किसान मोर्च की 15 जनवरी को आयोजित बैठक में लिया गया था। संयुक्त किसान मोर्चे ने देशभर में किसानों से कहा है वे 31 जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाकर केंद्र सरकार तक अपनी नाराजगी पहुंचाएं।

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल के सदस्य तेजराम विद्रोही ने कहा कि केंद्र ने नौ दिसंबर के अपने पत्र में किया कोई वादा पूरा नहीं किया। आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमों को तत्काल वापस लेने और मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा देने के वादे पर पिछले दो सप्ताह में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने के मुद्दे पर भी सरकार ने कमेटी के गठन की कोई घोषणा नहीं की।  विद्रोही ने कहा कि सोमवार को देश भर में प्रदर्शन किया जाएगा।

रायपुर में पीएम के नाम सौंपेंगे ज्ञापन
रायपुर में किसान कलेक्टोरेट के समीप डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के पास एकत्रित होंगे और  प्रदर्शन के बाद कलेक्टर को पीएम नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।  प्रदर्शन में कई किसान संगठन शामिल होंगे।

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