पूर्व पीएम वीपी सिंह के बहाने मिले अखिलेश और स्टालिन

पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की आदमकद प्रतिमा का चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में तमिलनाडु के सीएम व द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने सोमवार को अनावरण किया। उन्होंने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को मुख्य अतिथि के रूप आमंत्रित किया। यह कार्यक्रम तेजी से चर्चाओं में आ गया है। अनावरण के दौरान स्टालिन ने वीपी सिंह को पिछड़े वर्ग का हीरो बताया, लेकिन इसी वर्ग के इंडिया गठबंधन के अन्य नेता खासतौर पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं थे। इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं, इसमें प्रमुख है गैर कांग्रेसी तीसरे मोर्चे का गठन।

तमिलनाडु में वीपी सिंह की प्रतिमा आखिर क्यों?
गृह जिले प्रयागराज से बाहर वीपी सिंह की पहली आदमकद प्रतिमा तमिलनाडु में क्यों लगी? जवाब 80 के दशक में लागू बीपी मंडल आयोग की सिफारिशों और तत्कालीन राजनीतिक हालात में छिपा है। सत्तासीन कांग्रेस ये सिफारिशें 10 साल दबाए रही। 2 दिसंबर 1989 को नेशनल फ्रंट सरकार बनी और वीपी सिंह प्रधानमंत्री। सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिश लागू कर दी, जिसमें अन्य पिछड़े वर्ग को केंद्र की नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण मिला। स्टालिन ने इसका उल्लेख प्रतिमा अनावरण में किया। कहा, वे सिंह को अपने राज्य में मंडल आयोग की सिफारिश लागू करने के लिए सामाजिक न्याय के हीरो के रूप में सम्मान देना चाहते हैं।

अखिलेश के जरिये पिछड़े वर्ग को साधने की कोशिश
इंडिया गठबंधन बना तो अखिलेश व स्टालिन इसका अहम हिस्सा बने लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सीटों के बंटवारे में सपा को अनदेखा किया तो दोनों ओर से कड़े बयान जारी हुए। अखिलेश ने इंडिया गठबंधन पर सवाल खड़े किए। वे हाल में तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति के लिए प्रचार कर रहे थे। स्टालिन को लग सकता है कि अखिलेश के जरिये यूपी में पिछड़े वर्ग और बिहार के राजद व जनता दल को साथ ला सकते हैं। यह तीसरे मोर्चे को मजबूत करने के लिए जरूरी होगा। अखिलेश के पिता मुलायम सिंह और स्टालिन के पिता करुणानिधि में रहे मजबूत संबंधों से सभी वाकिफ हैं।

नीतीश व अन्य नेता न बुलाने का मतलब?
बिहार सीएम व पिछड़े वर्ग के नेता नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को आमंत्रित न करना कई सवाल खड़े कर रहा है। उन्होंने ही हाल में बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए। कांग्रेस के राहुल गांधी भी पिछड़े वर्ग के मुद्दों पर लगातार बयान दे रहे हैं। स्टालिन ने उन्हें भी नहीं बुलाया। माना जा रहा है स्टालिन इन नेताओं के बिना तीसरे मोर्चे के गठन के बारे में सोच रहे हैं।

तीसरा मोर्चा कैसे बन सकता है?
स्टालिन को इसमें अखिलेश के साथ साथ अरविंद केजरीवाल, केसीआर, जगन मोहन रेड्डी और तेजस्वी यादव का साथ मिल सकता है। वह मानते हैं कि इंडिया गठबंधन से निकलने पर एक मजबूत विकल्प उनके सामने होना चाहिए। इसी की तैयारियां तेजी से हो रही हैं। 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के दिन ही वीपी सिंह का निधन हुआ था, इस दिन कोई आयोजन राजनीतिक दल नहीं करते थे। लेकिन अब ऐसा करना पिछड़े वर्ग को आकर्षित करने के लिए उपयुक्त लग रहा है।

लोगों को आनुपातिक आरक्षण का वाजिब हक मिले: स्टालिन
प्रतिमा अनावरण के अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए स्टालिन ने देशव्यायी जाति गणना का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि लोगों को आनुपातिक आरक्षण का वाजिब हक सुनिश्चित करने के लिए केंद्र को राष्ट्रीय जनगणना के साथ जाति गणना भी करानी चाहिए। उन्होंने वीपी सिंह को सामाजिक न्याय का संरक्षक करार देते हुए कहा कि उनका सम्मान करना द्रमुक का कर्तव्य है।

हमारी लड़ाई और मजबूत होगी
अखिलेश यादव ने वीपी की प्रतिमा के अनावरण को 2024 के चुनाव से पहले देशभर के लिए एक स्पष्ट संदेश करार दिया। उन्होंने अपने संक्षिप्त भाषण में कहा, हजारों साल से न्याय और बराबरी की उम्मीद करने वाले हमारे से खड़े होकर इस लड़ाई को और मजबूत बनाएंगे। उन्होंने कहा, दिल्ली की सरकारों ने हमें और आपको कभी अधिकार नहीं दिया। हमारी आपकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here