बरेलवी उलमा की बैठक में गुरुवार को दरगाह आला हजरत से प्रकाशित माहनामा में छपे आला हजरत के उस फतवे पर इत्तेफाक जताया गया, जिसमें किसी का कत्ल करने को शरीयत का हवाला देते हुए गुनाह बताया गया है। उलमा ने उदयपुर की घटना का जिक्र करते हुए कन्हैया के हत्यारों को कानून के साथ शरीयत का भी मुजरिम बताया।
इस्लामिक रिसर्च सेंटर पर हुई इस बैठक में उलमा ने कहा कि क्योंकि यह घटना इस्लाम के नाम पर की गई, लिहाजा इस पर शरई पक्ष साफ होना जरूरी है। तंजीम उलमा इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि आला हजरत ने अपनी किताब ‘हुस्सामुल हरमैन’ में इस तरह की घटना के बारे में फतवा दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले पाकिस्तान में तहरीक लब्बैक संगठन ने अपना राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने के लिए ‘सर तन से जुदा’ नारा शुरू किया।यह नारा सोशल मीडिया के जरिए हिंदुस्तान पहुंचा, लेकिन फर्क यह है कि हिंदुस्तान जम्हूरी देश है, जहां ऐसे नारे लगाना जायज नहीं है। बैठक में मौलाना मुजाहिद हुसैन, मौलान नूर अहमद अजहरी, मुफ्ती मजहर इमाम, मौलाना शाकिर अली, मुफ्ती तौकीर अहमद, मौलाना ताहिर फरीदी, मुफ्ती अतीक मिस्बाही, सूफी हनीफ जहांगीरी, कारी सगीर अहमद रजवी, मौलाना खुर्शीद अहमद आदि उलमा मौजूद थे।