पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया है कि सरकार फिलहाल इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम की समीक्षा करेगी और उसके बाद ही आगे के लक्ष्य तय होंगे। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब वाहन मालिकों की लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं कि E20 ईंधन से इंजन को नुकसान हो रहा है, माइलेज घट रहा है और पेट्रोल की कीमतों में भी कोई राहत नहीं मिली है।
पुरी ने कहा कि सरकार ने 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2030 तक पूरा करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह काम छह साल पहले ही पूरा हो गया। अब अगला कदम तय करने से पहले कार्यक्रम का मूल्यांकन किया जाएगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि फिलहाल इससे आगे कोई बड़ा कदम उठाने की योजना नहीं है।
E20 ईंधन से जुड़ी शिकायतों पर पुरी ने कहा कि इंजनों पर इसके असर को लेकर कही जा रही अधिकांश बातें बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जा रही हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि पुराने वाहनों में रबर पार्ट्स या गैसकेट बदलने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन इसे आसान प्रक्रिया बताया।
हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स में E27 योजना की चर्चा हुई थी, लेकिन मौजूदा हालात में यह प्रस्ताव टलता दिख रहा है। सरकार ने सभी फ्यूल पंपों पर E20 पेट्रोल को अनिवार्य किया है, जिसके बाद पुराने वाहनों में माइलेज 15-20 प्रतिशत तक घटने की शिकायतें आईं। हालांकि सरकार का कहना है कि वास्तविक कमी सिर्फ 1-2 प्रतिशत तक ही है।
वाहन मालिकों की यह भी नाराजगी है कि इथेनॉल मिश्रण बढ़ाने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई कमी नहीं आई। तीन साल से इनकी कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। वहीं इथेनॉल उत्पादन को लेकर भी सवाल उठे हैं क्योंकि यह गन्ना और मक्का जैसी पानी-प्रधान फसलों पर आधारित है।
पुरी ने कहा कि 2014 में पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 1.4 प्रतिशत थी, जो अब 20 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अपनी तेल जरूरतों का 88 प्रतिशत आयात करता है, ऐसे में बायोफ्यूल और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग जरूरी है ताकि आयात पर निर्भरता घटे और पर्यावरण को भी लाभ हो।