सत्तारूढ़ भाजपा 2026 के बाद होने वाली परिसीमन कवायद में हिंदी पट्टी के लिए भारी बहुमत नहीं जुटा पाएगी, क्योंकि उसे लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। यह बात कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लेखक राधा कुमार की किताब ‘द रिपब्लिकन रिलर्न: रिन्यूइंग इंडियन डेमोक्रेसी’ के विमोचन के मौके पर कही।
उन्होंने कहा कि परिसीमन प्रक्रिया के दौरान बहुत सारी चिंताएं हैं, जिसमें संघवाद से लेकर राज्यों के भीतर संतुलन बनाए रखना शामिल है।
थरूर ने कहा, यह (परिसीमन) एक ऐसा विषय है जिसमें सत्ता में बैठे लोग निश्चित रूप से एक बड़ी गड़बड़ी कर सकते हैं, अगर वे अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के बारे में सोचते हैं। लेकिन अब उत्तर प्रदेश ने उन्हें सबक सिखाया कि हिंदी पट्टी उन्हें झटका दे सकती है, तो वे (भाजपा) अपने लिए हिंदी पट्टी में भारी बहुमत जुटाने के बारे में उत्साहित नहीं होंगे।
परिसीमन का मतलब लोकसभा और विधानसभा के लिए प्रत्येक राज्य में सीटों की संख्या और निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को तय करने की प्रक्रिया है। भाजपा ने हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से केवल 33 सीट पर ही जीत हासिल की।
तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने 2026 के बाद होने वाली परिसीमन कवायत के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया दक्षिणी राज्यों को मताधिकार से वंचित कर सकती है और राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने इस बात को लेकर भी आगाह किया कि हिंदी पट्टी को दो-तिहाई बहुमत देने के लिए जनसांख्यिकीय आंकड़ों का इस्तेमाल करने के लालच में सरकार देश की एकता से खतरनाक खेल खेल सकती है।