ताइवान में 5.9 तीव्रता का भूकंप, ताइपे और हुलिएन में हिली धरती

ताइवान के पूर्वी तट पर बुधवार को 5.9 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिससे राजधानी ताइपे और हुलिएन शहर हिल उठे। ताइवान के केंद्रीय मौसम विभाग के अनुसार, भूकंप का केंद्र धरती की सतह से लगभग 30.9 किलोमीटर गहराई में था। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण एजेंसी (USGS) ने भी इस भूकंप की पुष्टि की है। चूंकि यह सतह के नजदीक आया भूकंप था, इसलिए झटके ज़्यादा तीव्रता से महसूस किए गए।

भूकंप का केंद्र हुलिएन शहर से लगभग 71 किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित था, जो अपेक्षाकृत कम आबादी वाला क्षेत्र है। हालांकि पश्चिमी ताइवान, जो अधिक घनी आबादी वाला है, वहां भूकंप आमतौर पर अधिक प्रभाव डालते हैं। राजधानी ताइपे में झटके करीब एक मिनट तक महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। राहत की बात यह रही कि अब तक किसी जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है।

ताइवान में बार-बार क्यों आते हैं भूकंप?

ताइवान “रिंग ऑफ फायर” नामक भूकंपीय क्षेत्र का हिस्सा है, जहां दो प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों की टकराहट होती है। यही वजह है कि यहां हर वर्ष सैकड़ों छोटे-बड़े भूकंप दर्ज किए जाते हैं। जनवरी में भी यहां 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 15 लोग घायल हुए थे और कुछ इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई थीं।

सरकार की तैयारी और आपदा प्रबंधन व्यवस्था

विशेषज्ञों का कहना है कि सतह के पास आने वाले भूकंप अधिक तीव्र लगते हैं, लेकिन इस बार का भूकंप मध्यम श्रेणी का था। ताइवान सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियां ऐसी प्राकृतिक घटनाओं से निपटने के लिए पहले से ही सतर्क रहती हैं, जिससे बड़े नुकसान की संभावना को कम किया जा सके।

भूकंप कैसे आते हैं?

पृथ्वी की सतह पर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें समय-समय पर आपस में टकराती या खिसकती रहती हैं। जब इन प्लेटों के बीच जमी हुई चट्टान अचानक टूटती है, तो उससे उत्पन्न ऊर्जा भूकंपीय तरंगों के रूप में बाहर निकलती है, जिसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं। जिस स्थान से ये तरंगें उत्पन्न होती हैं उसे ‘हाइपोसेंटर’ और ज़मीन की सतह पर ठीक ऊपर वाले स्थान को ‘एपिसेंटर’ कहा जाता है।

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