मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने निवास स्थान पर पॉवर कारपोरेशन के शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुला कर बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण की स्थिति की गहन समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री योगी ने बैठक में मौजूद उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए कि बिजली मीटर की जांच और बकाया बिजली बिल के भुगतान के मामलों में उत्पीड़न नहीं किया जाए, यदि इस प्रकार की शिकायत आएगी तो संबंधित कर्मचारी के प्रति कड़ी कार्यवाई होगी।
श्री योगी ने विद्युत विभाग के अधिकारियों से कहा कि ऐसी व्यवस्था बनायें जिससे उपभोक्ता को अबाध गति से बिजली मिले। बिजली बिल समय से दिये जाएं और ओवर बिलों की शिकायतें नहीं आनी चाहिएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नये विद्युत कनेक्शन देने के नियम सरल बनायें। ट्रांसफार्मर फुंकने पर तुरंत मरम्मत करायें, जरूरत हो तो नया ट्रांसफार्मर लगवायें।
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री जी ने विद्युत उपभोक्ताओं के हित में आवश्यक निर्देश दिये। लोक कल्याण हेतु शासक को ऐसा ही करना चाहिए। योगी जी का यह कदम प्रशंसनीय है। मीटर चैकिंग, बकाया भुगतान, ओवर बिलिंग आदि की शिकायतों की भरमार है। मुजफ्फरनगर जनपद के नव नियुक्त कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने परिचय बैठक में मीटर चैकिंग व पुराने बकाया की वसूली में कथित अभद्रता का मामला उठाया था। पूर्व राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान, विधायक राजपाल बालियान, सांसद हरेंद्र मलिक एवं चन्दन चौहान, भाकियू नेता राकेश टिकैट आदि समय-समय पर बिजली मीटर चेकिंग व बकाया बिलों की समस्या और बिजली विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाते रहे हैं लेकिन हैरत की बात है कि न तो मुख्यमंत्री जी ने अपनी समीक्षा बैठक में, और न ही जनप्रतिनिधियों ने कभी बिजली विभाग की दो ज्ज्वलन्त समस्या पर विचार किया।
विद्युत विभाग या पॉवर कारपोरेशन की दो जटिल समस्यायें हैं- अरबों रुपियों का पुराना बकाया, दूसरा-बिजली चोरी रोकने गए विद्युत विभाग के आधिकारियों-कर्मचारियों के साथ होने वाली बदसलूकी और मारपीट। इन दोनों पर जनप्रतिनिधियों ने मौन साधा हुआ है। बिजली चोरी रोकने के लिए जनप्रतिनिधियों का विभाग को कितना सहयोग मिलता है? जब बिजली विभाग कोई कार्यवाई करता है तो नेता जी बिजली चोरों के पाले में खडे नजर आते हैं?
पूरे उत्तर प्रदेश में ऐसी दर्जनों घटनायें हर महीने होती हैं जब लाइन लॉस रोकने या बकाया भुगतान न देने पर कनेक्शन काटने गए अधिकारियों कर्मचारियों के साथ हाथापाई, मार-पिटाई होती है। प्रथिमिकी दर्ज कराने में ही हिला-हवाली होती है, और एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद भी दोषियों के विरुद्ध कार्यवाई नहीं होती।
शासन ने मीटर उखाड़ कर फेकने वालों के विरुद्ध अब तक क्या कार्यवाई की? उपभोक्ताओं को सुविधा चाहिए तो विभागीय कर्मचारियों को भी सुरक्षा चाहिए और बकाया राशि का भुगतान भी समय से होना चाहिए, ताकि सरकार का खजाना खाली न रहे। बिजली और बिजली विभाग की सभी समस्याओं का समन्वित हल निकलना चाहिए। यह उपभोक्ताओं के हित में भी है और प्रदेश के हित में भी।
गोविन्द वर्मा