गत 16 जुलाई, 2024 को उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष रजनीश दुबे मुजफ्फरनगर आए थे। श्री दुबे ने खतौली निर्माण, स्वामित्व योजना, लंबित राजस्व वाद, राजस्व वसूली, विरासत के मामलों, भूमि की पैमाइश से जुड़े मसलों की समीक्षा की थी। उन्होंने चकबन्दी कार्य, राजस्व रिकार्डों में खामियां पाईं। राजस्व परिषद के अध्यक्ष ने एसओसी चकबन्दी के पेशकार बलकौर सिंह को निलंबित भी कर दिया था।
जब श्री दुबे मुजफ्फरनगर आये तब खतौली के अधिवक्तागण तहसील व बन्दोबस्त कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए थे। खतौली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सरदार जितेन्द्र सिंह के नेतृत्व में अधिवक्ताओं का प्रतिनिधिमंडल उन से मिला था। 7 सूत्रीय ज्ञापन में खतौली के राजस्व विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी।
राजस्व परिषद के अध्यक्ष का कर्त्तव्य था कि वे खतौली जा कर मौका-मुआयना करते किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया, मुजफ्फरनगर दौरे की सिर्फ रस्म-अदायगी हुई, जो उचित न था। राजस्व विभाग के शीर्ष अधिकारी की बेरुखी के कारण खतौली के अधिवक्ताओं को अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखने पर मज़बूर होना पड़ा।
लोकसभा 2024 के चुनाव में पराजित केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने हार के बाद सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि थानों व तहसीलों में भ्रष्टाचार व्याप्त है। कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परिचय मीटिंग में सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली सुधारने को कहा था।
योगी सरकार में मुजफ्फरनगर का प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों मंत्रियों तथा विधायक मदन भैया को खतौली पहुंच कर अधिवक्ताओं से बात कर समस्या का समाधान कराना चाहिए।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’