केजरीवाल के चेले की करतूत पर अदालत का फैसला !

दिल्ली के ‘कट्टर ईमानदार’ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चेले दिल्ली शराब घोटाले के आरोपी, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत याचिका डाली थी। उसे 21 मई, 2024 को खारिज कर दिया गया। दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने सिसोदिया की जमानत याचिका रद्द करते हुए आदेश में लिखा है कि दिल्ली शराब घोटाले के अभियुक्त मनीष सिसोदिया ने पिछली बार जमानत मिलने पर इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों समेत कई महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट किया है। सिसोदिया ने फर्जी फीडबैक तैयार कर उसके आधार पर शराब नीति की प्रक्रिया को विकृत किया है। कोर्ट इस बात से आश्वस्त है कि मनीष सिसोदिया ने पिछली बार जमानत मिलने का दुरुपयोग किया, अत: उन्हें 21 मई की तारीख पर जमानत नहीं मिल सकी।

व्यवस्था सुधारने के नाम पर केजरीवाल और उसके गैंग ने क्या-क्या गुल खिलाये, यह सब एक-एक कर सामने आ चुका है और आता जा रहा है। मुंह पर सफेद झूठ बोल कर लोगों को मूर्ख बनाने का सिलसिला अभी भी जारी है। झूठ बोलना, वादाखिलाफी और अपने कहे हुए से साफ मुकर जाना, केजरीवाल और उसके गुर्गों का विशेष हथकंडा है। अदालतों में गर्दन फंसती देख वे कुछ भी कर सकते हैं। जनता को झूठ फरेब से लच्छेदार भाषण देकर, बिकाऊ मीडिया को हजारों करोड़ रुपया देकर अपने पक्ष में प्रचार करा सकते हैं किन्तु सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में पैरोकारी की मोटी फ़ीस लेने वाले वकीलों के माध्यम से प्रभावित नहीं कर सकते।

दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने मनीष सिसोदिया की कानून विरोधी हरकतों का पर्दाफाश कर सही फैसला दिया। इससे पता चलता है कि केजरीवाल के चेले किस हद तक जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की कृपा से केजरीवाल को जमानत मिली लेकिन उनके शीशमहल में कांड हो गया। आप सांसद स्वाति मालीवाल पिटाई मामले में आरोपी केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार को बगल में दबाये फिर रहे केजरीवाल के मुंह पर थूकने से क्या होने वाला है लेकिन विभव कुमार के मोबाइल फोन व मुख्यमंत्री आवास पर लगे सीसीटीवी कैमरों से छेड़‌छाड़ की पुष्टि दिल्ली पुलिस ने करके केजरीवाल और उसके गुर्गों की हरकतों से पर्दा उठाया है। इलेक्ट्रानिक सबूतों से छेड़‌छाड़ करके वे अदालतों की आँखों में धूल झोकना चाहते हैं। अदालतें क्या इन हथकंडों से प्रभावित होंगी, यह समय पर ज्ञात होगा।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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