घाटी में एसएसपी की कायरतापूर्ण हत्या !


केंद्र सरकार ने कभी दृढ़ता के साथ यह दावा नहीं किया कि जम्मू-कश्मीर संबंधी धारा 370 की समाप्ति के साथ घाटी में आतंकवादी हिंसा पर पूरा नियंत्रण हो गया है। दहशतगर्दी पर काबू पाने और घाटी में विकास लाने के लिए एक साथ प्रयास हो रहे हैं। 70 वर्षों से आस्तीनों के जिन साँपों को पाला गया वे मौका पड़ते ही फुंकार मारने व डसने से बाज़ नहीं आ रहे। जम्मू-कश्मीर में लक्षित हत्याएं व आतंकी घटनाएं रुक नहीं पा रही हैं। 10 दिसंबर को बेमिना इलाके में पुलिसकर्मी मोहम्मद हफीज चक की टारगेट किलिंग हुई। जिसका मकसद पुलिसकर्मियों में दहशत फैलाना था।

20 दिसंबर को आतंकियों ने सेना के गश्ती काफिले पर हमला बोला, जिसमे हमारे 5 जवान शहीद हुए। इससे पूर्व 11 अक्टूबर को आतंकी हमले में सेना के 5 जवान शहीद हुए। 20 अक्टूबर को भाटादूड़ियां में 6 जवानों का बलिदान हुआ। 20 अप्रैल को हमारे 5 जवानों की शहादत हुई।

जम्मू-कश्मीर की बदली हुई फ़िज़ा से बौखलायें अलगाववादी और पाकिस्तान के पिट्ठू आतंकी सुरक्षाबलों एवं पुलिस फ़ोर्स के अधिकारियों-कर्मचारियों की हत्याएं कर घाटी में दहशतगर्दी का राज कायम रखना चाहते है। 24 दिसंबर को सेवानिवृत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शमी मीर की हत्या आतंकियों के खौफनाक इरादों और आतंकी सक्रियता का उदाहरण है। श्री मीर पर उस समय ताबड़तोड़ गोलिया बरसाई गयी जब वे गैंटमुल्ला मस्जिद में आज़ान दे रहे थे। जाहिर है कि हत्यारे इस्लाम व कुरान-पाक के सम्मान को मानने वाले नहीं थे, उनका काम सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोगों को खौफज़दा करना है।

पूर्व एसएसपी शमी मीर की हत्या पर मेहबूबा मुफ़्ती ने अफ़सोस तो ज़रूर प्रकट किया किन्तु यह भी कह दिया कि अनुच्छेद 370 हटाने से घाटी में शांति कायम नहीं हुई है। अलबत्ता पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने यह कहा है कि आतंकवाद के विरुद्ध सरकार को निर्णायक कदम उठाने चाहियें।

श्री आज़ाद ने जो कुछ कहा, वह पूरे भारत की आवाज़ है। यह प्रतीत होता है केंद्र सरकार व सेना घाटी से आतंकवाद को समाप्त करने के प्रति गंभीर हैं। 25 दिसंबर 2023 को घाटी पहुंच कर सेना प्रमुख जनरल मनोज पाण्डे ने सेना से कहा है कि आतंकियों के सफाये के लिए मज़बूती से अभियान चलाया जाए। भारत का जनमानस भी चाहता है कि जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों का खून अब न बहे।

गोविन्द वर्मा

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