एनएसडी के डायरेक्टर की नियुक्ति में देरी पर सख्त दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने आज नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर की नियुक्ति (NSD Director Recruitment) में देरी के मामले पर सुनवाई की. जुलाई 2018 से खाली पड़े पद के मामले पर केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की खिंचाई करते हुए कोर्ट ने 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इस मामले पर 16 नवंबर को जस्टिस ज्योति सिंह ने सुनवाई करते हुए कहा था कि कोर्ट संस्कृति मंत्रालय की दलीलों से संतुष्ट नहीं है. कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले से दी गई इस दलील से सहमत नहीं हैं कि समयसीमा पर टिके रहने के लिए कदम उठाए गए. कोर्ट ने इस बात को माना कि फाइलों और हलफनामों को देखने से यह साफ हो गया है कि ACC द्वारा अनुस्मारक भेजे जाने के बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया में देरी और रोक लगाने की कोशिशें की गई थीं.

दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए संस्कृति मंत्रालय (Cultural Ministry) पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने आदेश के मुताबिक इसका भुगतान याचिकाकर्ता, थिएटर निर्देशक डॉ जे थुलासीधर कुरुप को किया जाएगा. जुलाई 2019 में उनके नाम की सिफारिश खाली पड़े पद के लिए की गई थी. हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कुरुप की याचिका को स्वीकार करते हुए संस्कृति मंत्रालय को दो हफ्ते में ACC के सामने अपने प्रस्ताव के साथ NSD की सिफारिशों को रखने का निर्देश दिया.

2018 से खाली है NSD के निदेशक का पद

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की सिफारिशों में कहा गया है कि अगर कुरुप के नाम को ACC द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो उन्हें NSD के निदेशक के रूप में नियुक्त किया जाएगा. बता दें कि अपनी अर्जी में कुरुप ने तर्क दिया था कि NSD के डायरेक्टर का पद 28 जुलाई 2018 को खाली हुआ था. अक्टूबर 2018 में चयन समिति ने इसके लिए इंटरव्यू लिए थे. सोर्सेज से उन्हें पता चला था कि सर्वसम्मति से उनके नाम की सिफारिश की गई थी. लिस्ट में वह सबसे ऊपर थे. लेकिन कुछ लोग दूसरे उम्मीदवारों की पैरवी कर रहे थे.

कुरुप ने बताया कि नवंबर 2018 में उन्होंने पीएम मोदी को एक प्रेजेंटेशन भेजकर आरटीआई के तहत जानकारी भी मांगी थी. इंटरव्यू के 6 महीने बीतने के बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. उन्होंने बताया कि मामला लंबित होने की वजह से मई 2019 में कोर्ट ने संस्कृति मंत्रालय को ACC की सिफारिशों को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था. वहीं कोर्ट ने 2 महीने के भीतर इस पर फैसले की भी उम्मीद जताई थी. उन्होंने बताया कि 11 जुलाई 2019 को मंत्रालय ने ACC ने एक प्रस्ताव भेजा था. जिसमें कहा गया कि मंत्रालय को उनकी योग्यता के मामले में कई शिकायतें मिली हैं.

‘ACC को प्रस्ताव भेजने में क्यों लगे 2 महीने’ ?

कोर्ट को ये भी बताया गया था कि संस्कृति मंत्रालय ने सुरेश शर्मा के नाम की सिफारिश की थी. लेकिन एसीसी इससे सहमत नहीं था. उनका कहना था कि सुरेश पैनल में तीसरे नंबर पर थे जब कि कुरुप पहले नंबर पर थे. हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर संस्कृति मंत्रालय से कोई सफाई नहीं मिली कि ACC को प्रस्ताव भेजने में दो महीने का समय क्यों लगा. कोर्ट ने कहा कि एक बात तो साफ है कि प्रक्रिया में देरी और इसे रोकने की कोशिश की जा रही है. वहीं कोर्ट ने कुरुप के खिलाफ शिकायतों की दलीलों को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि चयनसमिति ने उनकी योग्यता की जांच की है. कोर्ट ने कहा कि यह साफ है कि योग्य होने के बाद भी कुरुप की नियुक्ति में देरी हुई.

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