दिल्ली मेट्रो के फेज-4 के तहत निर्माणाधीन कॉरिडोर पर जल्द अत्याधुनिक मेड इन इंडिया ट्रेनें दौड़ेंगी। निर्माण करने वाली कंपनी अलस्टॉम ने सोमवार को पहला ट्रेन सेट डीएमआरसी को सौंपा है। छह डिब्बों वाला यह ट्रेन सेट 100 प्रतिशत मेड इन इंडिया है। आंध्र प्रदेश के श्री सिटी में इसका निर्माण किया गया है। यह ट्रेनें ड्राइवरलेस फीचर से लैस हैं और 95 किलोमीटर तक की गति से चलाई जा सकती हैं।
डीएमआरसी के अधिकारियों ने बताया कि फेज-4 के निर्माणाधीन तीनों कॉरिडोर के लिए नवंबर 2022 में 52 ट्रेन सेट बनाने का ऑर्डर दिया गया था। तीनों कॉरिडोर में मजलिस पार्क से मौजपुर (12.5 किलोमीटर), एयरपोर्ट से तुगलकाबाद (23.6 किलोमीटर), और जनकपुरी वेस्ट से आरके आश्रम (28.9 किलोमीटर) खंड शामिल हैं। इन तीनों कॉरिडोर का निर्माण कार्य मार्च 2026 में पूरा कर लिया जाएगा। ट्रेनों का उत्पादन फरवरी 2024 में शुरू किया गया। निर्माण कंपनी 13 ट्रेन सेट का 15 साल तक रखरखाव भी करेगी।
अधिकारियों ने बताया कि ये मेट्रोपोलिस ट्रेनें मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत भारत में डिजाइन की गई हैं और निर्माण श्री सिटी, आंध्र प्रदेश में किया गया है। पहला ट्रेन सेट सौंपे जाने पर डीएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. विकास कुमार ने कहा कि आज दिल्ली मेट्रो परिवार के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, जब फेज-4 कॉरिडोर का संचालन शुरू करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
312 मेट्रो कोच डीएमआरसी को मिलेंगे
निर्माणाधीन फेज-4 के सभी कॉरिडोर पर चालक रहित मेट्रो ट्रेनें चलाई जाएंगी। इसके लिए 312 मेट्रो कोच (52 ट्रेनें) डीएमआरसी को मिलेंगे। मेट्रो के अधिकारियों का कहना है कि ड्राइवर लेस ट्रेनों का बेड़ा चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा। अभी मजेंटा और पिंक लाइन पर ड्राइवर लेस ट्रेनें संचालित हो रही हैं।
अधिकारियों का कहना है कि स्वचालित मेट्रो ट्रेनों से मानवीय हस्तक्षेप और मानवीय त्रुटियां कम होंगी, साथ ही कोच की उपलब्धता में सुधार करने में भी मदद होगी। इससे जांच की मैन्युअल प्रक्रिया भी खत्म होगी, जिससे ट्रेन ऑपरेटरों पर बोझ कम होगा। डिपो में स्टेबलिंग लाइन पर पार्किंग भी अपने आप होगी। चालक केबिन नहीं होने से यात्रियों की क्षमता भी बढ़ेगी।