पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। मंत्री ने हाईकोर्ट में एससी/एसटी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। मंत्री पर प्रतिवादी की ओर से अपरहरण और एससी/एसटी एक्ट में रिपोर्ट दर्ज कराने केलिए सत्र न्यायाधीश के समक्ष आवेदन किया गया था। जिस पर कोर्ट ने उसे शिकायत के रूप में स्वीकार करते हुए मंत्री को समन जारी कर दिया था।
मंत्री ने हाईकोर्ट में समन को अवैध बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने उस पर सुनवाई करते हुए याचिका को रद्द कर दिया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत मामले की सुनवाई के लिए एमपीएमएलए कोर्ट भेज दिया।
याची मंत्री रामवीर उपाध्याय की ओर से तर्क दिया गया कि एससी/एसटी सत्र न्यायाधीश की ओर से जारी समन गलत है। एसटी/एसटी कोर्ट को याची के मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है। याची केमामले में एमपीएमएलए कोर्ट में ही सुनवाई हो सकती है। जबकि, प्रतिवादी की ओर से तर्क दिया गया कि मंत्री के खिलाफ अपहरण और एससी/एसटी एक्ट के तहत सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसे एससी/एसटी कोर्ट को सुनने का अधिकार है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने केबाद पाया कि एससी/एसटी कोर्ट के द्वारा की गई कार्रवाई विधि सम्मत है। उसे निरस्त नहीं किया जा सकता है। लिहाजा, कोर्ट ने पूर्व मंत्री की याचिका को खारिज करते हुए मामले की सुनवाई के लिए हाथरस जिले के एमपीएमएल कोर्ट को भेज दिया।