गलत आर्थिक नीतियों और कमजोर नेतृत्व के कारण श्रीलंका इन दिनों ऐतिहासिक संकट से जूझ रहा है। यहां महंगाई चरम सीमा को भी पार कर चुकी है। जनता दाने-दाने को मोहताज है। देश को जीविका चलाने के लिए दूसरे देशों को मुंह देखना पड़ रहा है। इसके बावजूद सिंगापुर भागे श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने देश के खराब हालात के लिए कोरोना और लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया है।
दरअसल, गोतबाया राजपक्षे ने 14 जुलाई को पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे से पहले वह मालदीव होते हुए सिंगापुर भाग गए थे। उनके इस्तीफे के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया गया और सिंगापुर से भेजे गए उनके इस्तीफे को पढ़ा गया।
गोतबाया राजपक्षे अपने इस्तीफे में खुद को बचाते दिखाई दिए। उन्होंने कहा “मैंने अपनी क्षमता के अनुसार अपनी मातृभूमि की सेवा की और भविष्य में भी करता रहूंगा।” राजपक्षे ने कहा कि उन्होंने आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिए सर्वदलीय सरकार बनाने की कोशिश जैसे बेहतरीन कदम उठाए। उनके राष्ट्रपति बनने के तीन महीने के भीतर ही पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी की चपेट में आ गई। मैंने पहले से ही खराब आर्थिक माहौल से विवश होने के बावजूद लोगों को महामारी से बचाने के लिए पूरा प्रयास किया। 2020 और 2021 के दौरान मुझे लॉकडाउन का आदेश देना पड़ा और विदेशी मुद्रा की स्थिति बिगड़ती चली गई।
इस्तीफा देने से पहले भाग गए थे गोतबाया
गोतबाया राजपक्षे को 13 जुलाई को अपना इस्तीफा देना था। हालांकि, वह सुबह चुपचाप मालदीव भाग गए। इसके बाद वह सिंगापुर पहुंचे और यहां से ही अपना इस्तीफा भेज दिया। गोतबाया के इस्तीफे के बाद रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है।