1 नवंबर: तथाकथित ‘काले कृषि कानून’ (?) के विरोध में चलाये गए किसान आंदोलन के बीच अमेरिका के एक अरबपति व्यापारी का नाम सामने आया था। वह नाम था जॉर्ज सोरोस। दिल्ली बॉर्डर पर 13 महीनों तक चले इस किसान आन्दोलन को लोग भूले नहीं होंगे जिसकी शुरुआत पंजाब के धनी मण्डी व्यापारियों और पंजाब के बड़े जमीदारों ने की थी। बाद में इस आन्दोलन पर वामपंथी नेताओं, कथित मानव अधिकारवादियों, सेक्युलर तथा प्रगतिशील कहलाने वाले आन्दोलनजीवियों का कब्जा हो गया था।
आन्दोलन के दौरान विभिन्न टी. वी. चैनलों ने दिखाया था कि दिल्ली की सीमाओं को सीलकर कैसे राजधानी को बंधक बनाया गया। हरियाणा-नॉएडा के उद्योगधंधे व पंजाब के सब्जी उगाने वाले छोटे किसान व डेली पैसेंजर किस तरह परेशान हुए।
टी.वी. चैनलों ने यह दिखाया कि कैसे आन्दोलनकारियों के लिए शाही पकवान परोसे जा रहे हैं, नए कम्बल तौलिये, नये जूते व पोशाकें बांटी जा रही हैं। कपड़े धोने व प्रेस करने की मशीनें लगी हैं। एक चैनल ने तो यहां तक दिखा दिया कि मौज मस्ती का भी इन्तजाम है।
टी. वी. चैनल ने आन्दोलनकारियों के एसी टैंट भी दिखाये और भिंडरावाला का फोटो लगा पोस्टर भी दिखाया। एक व्यक्ति को यह कहते भी दिखाया कि हमने इन्दिरा को खत्म किया, मोदी क्या है। टी. वी. चैनलों ने एक सेवादार की हत्या करने और शव को बेरीकेडिंग पर लटकाने का दृश्य तथा पश्चिमी बंगाल की लड़की से सामूहिक बलात्कार का समाचार भी प्रसारित किया।
जॉज सोरोस पर आन्दोलकारियों को मोटा पैसा देने का आरोप लगा था क्यूंकि वह दुनिया भर में उन आन्दोलनकारियों को ओटा पैसा देता है जो विभिन्न देशों की सरकारों को उखाड़ फेकने को आन्दोलन चलाते हैं।
इस सच्चाई को जॉर्ज सोरोस ने उस समय खुद ही उजागर कर दिया जब जनवरी 2023 में कैमरे पर आकर कहा कि नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए वह 8000 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
अब अमेरिका के एक अन्य अरबपति व्यापारी एलन मस्क ने कहा है कि जॉर्ज सोरोस घटिया स्तर के लोगों की मदद से समाज का ताताबाना नष्ट करने मे लगा हुआ है। वह केवल अमेरिका के सान फ्रांसिस्को व लॉस एंजिल्स में वरन दुनिया के अनेक देशों में ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के माध्यम से अधिकारियों व नेताओं को रकम बाँट कर वहाँ की व्यवस्था में दखल अन्दाजी करता है। पहले पैसा बांटता है, फिर इन लोगों के जरिये मोटी रकम कमाता है। वह इस हुनर को बखूबी जानता है।
एलन मस्क के इस खुलासे के बाद भी भारत में जॉर्ज सोरोस के दलाल कुछ नहीं बोलेंगे क्यूँ कि यहां कहावत है- मुँह खावे, आँख लजावे।
गोविन्द वर्मा