आज जब अपने पापों को छिपाने, कानून की जद से बचने के लिए नेता गिरगिट की तरह रंग बदल बच निकलने को तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, तब जनता दल (एस) के संस्थापक तथा पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने दुष्कर्म के आरोपी अपने पौत्र प्रज्जवल रेवन्ना को कड़ी चेतावनी देकर आज के खुदगर्ज नेताओं के सामने एक मिसाल पेश की है।
श्री देवेगौड़ा ने साहसपूर्वक सामने आकर अपने पौत्र को संदेश दिया कि वह जहाँ भी हो, सामने आये और कानून का सम्मान करते हुए पुलिस के समक्ष आत्म समपर्ण कर दे। उन्होंने कहा- यह मेरी अपील नहीं अपितु चेतावनी है। यदि रेवन्ना ऐसा नहीं करते तो उन्हें परिजनों के क्रोध का सामना करना पड़ेगा और रेवन्ना को परिवार से अलग कर दिया जायगा।
दुष्कर्म के आरोपों के घेरे में आते ही प्रज्जवल देश छोड़ कर फरार हो गए। वे इन दिनों जर्मनी में बताये जाते हैं। विदेश मंत्रालय ने उनका वीजा रद्द करने का नोटिस भी जारी कर दिया है। रेवन्ना के विरुद्ध 10 मास पूर्व एफआईआर दर्ज हुई थी लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पुलिस को लोकसभा का मतदान होने तक कानूनी कार्यवाही से रोके रखा क्यूंकि देवेगौड़ा परिवार की बिरादरी के मतदाताओं के वोट कांग्रेस से छिटक सकते थे। ख़ैर, कानून तो अपना काम करेगा ही और यह भी सही है कि कानून से ऊपर कोई वीआईपी या वीवीआईपी नहीं है।
श्री देवेगौड़ा ने अपने पौत्र को कानून के सामने नतमस्तक होने की सलाह देकर अहसास कराया है कि नेताओं को अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए राजनीतिक धींगामस्ती से बचना चाहिए। ऐसे दस बीस या सौ-दोसौ नहीं, हजारों उदाहरण हैं जब नेताओं ने अपनी औलादों की करतूतों पर पर्दा डालने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव, रसूख व दबदबे का इस्तेमाल किया। इनका उल्लेख करेंगे तो सैकड़ों पन्ने भर जाएंगे। ऐसा नहीं लगता कि नेताओं पर श्री देवेगौड़ा के उदाहरण का कोई सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। फिलहाल यदि उनका पोता ही दादा की सलाह मान ले तो बड़ी बात है।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’