मुजफ्फरनगर: ढाबों, होटलों पर मालिकों का नाम अंकित कराने के फैसले का विरोध करने के नाम पर तुष्टीकरण समर्थक दलों व नेताओं ने मोदी, योगी, भाजपा के विरुद्ध तलवारें म्यान से निकाल ली हैं। राहुल, अखिलेश, प्रियंका, मायावती के साथ-साथ असदुद्दीन ओवैसी, महमूद मदनी, जावेद अख्तर आदि इस निर्णय के विरोध में सामने आए हैं। सपा सांसद हरेन्द्र मलिक व भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत भी इस निर्णय के बहाने भाजपा पर भेदभाव व साम्प्रदायिकता भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। पूरा मोदी विरोधी ईको सिस्टम हल्लाबोल की मुद्रा में आ गया है।
मुस्लिम तुष्टीकरण की राह पर राजनीति की रोटियां सेकने वाले भाजपा के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान, जनता दल यूनाइटेड के के.सी. त्यागी और राष्ट्रीय लोकदल भी होटलों पर मालिकों के नाम लिखवाने का विरोध कर रहे हैं। इसी के साथ भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी चौपाई सुनाकर इस फैसले को छुआछूत बढ़ाने वाला व जातिवाद को बल प्रदान करने वाला निर्णय बता रहे हैं। भाजपा के इन सहयोगी दलों के रवैये पर यही कहा जा सकता है-
‘गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए,
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए।’
यक्ष प्रश्न है कि क्या मोदी कुछ पहचान पाए हैं, योगी तो पहचान गए।
मोदी 2047 तक भारत को समृद्ध राष्ट्र एवं विश्व गुरु बनाने की बात कहते हैं। दारुल उलूम, पी.एफ.आई 2047 तक गजवा-ए-हिंद की तैयारी में जुटे हैं। मोदी ने आस्तीन में सांप पाल रखे हैं और चाँद सितारे का हरा झंडा लहराने की राह पर चलने वालों का रास्ता सूरज की रोशनी की तरह साफ है, धुंधलका कहीं भी नहीं। होटलों के नामकरण, हिजाब, यूसीसी, एन.आर.सी और सीएए वगैहरा तो एक बहाना है। जो राष्ट्रवाद की पताका लेकर सत्ता पर काबिज़ हैं, वे नहीं चेते तो परिणाम भयंकर होगा।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’