हमारे हैं ये रहनुमा कैसे-कैसे !

भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे भूरेलाल (जो उत्तर प्रदेश में वी.पी. सिंह के मुख्यमंत्री रहते उनके सचिव थे) ने बरसों पहले कहा था- ‘नेताओं, प्रशासकों और माफियाओं का गठजोड़ (तिगड्डी) देश की जड़ों को खोखला कर रहा है।’ आज स्थिति तब से कहीं ज्यादा विकट एवं भयावह है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स एवं नेशनल इलेक्शन वॉच की हालिया रिपोर्ट से हमारे माननीयों की असलियत उजागर हुई है। संसद के दोनों सदनों- राज्यसभा व लोकसभा के 776 में से 763 सदस्यों द्वारा अपने हस्ताक्षरों से पेश किये गए शपथपत्रों के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि 306 सांसदों के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं। कुछ सांसदों पर तो बलात्कार, अपहरण व हत्या जैसे संगीन मुकदमे दर्ज हैं। गरीब-गरीब चिल्लाने वाले सांसदों की घोषित सम्पत्ति 30 हजार करोड़ रुपये है। अघोषित तथा बेनामी सम्पत्ति इससे कहीं अधिक है। भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी के सांसद अपराधों के हमाम में नंगे हैं।

अब तो राजनीतिक अपराधियों का संगठित गिरोह बन चुका है। करोड़ों-अरबों रुपये की संपत्ति व नकदी बरामद होने और जनता व सरकार की सम्पत्ति को लूटने वालों, धोखाधड़ी करने वालों के पास ई.डी. व सीबीआई को गाली देने के अलावा कुछ काम नहीं है।

जो कभी बोग्गी के जरिये रेत ढोते थे और घर-घर जाकर कली-चूने की पुताई करते थे, वे बड़े भूमाफिया, खनन माफिया बन गए, गोवंश व नशीले पदार्थों की तस्करी व कमीशन खोरी से राजा महाराजाओं से कहीं ज्यादा दौलत तथा संपत्ति के मालिक बन गए हैं। सरकारी अधिकारियों के यहाँ छापों में करोड़ों रुपये के नकदी-जेवरात बरामद हो रहे हैं। पकड़े गए नोटों के अम्बार रोज टी.वी. के पर्दों पर दिख जाते हैं। बैंकों व आम लोगों के साथ करोड़ों रुपयों की धोखाधड़ी करने की घटनायें प्रतिदिन पकड़ी जाती हैं। यहां तक कि हाईकोर्ट के जजों पर भी संगीन आरोप लगते हैं।

चोरी करने वाला हर अपराधी खुद को निर्दोष बताता है लेकिन जो नकब लगाते रंगे हाथों पकड़ा जाये वह भी जांच एजेंसियों व सरकार को कोसता है, झूठा कहता है। इसके लिए पथभ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था और अपराधी वृत्ति के जनप्रतिनिधि दोषी हैं। अलग-अलग पार्टियों के रोबोट बन चुके मत‌दाता इस कुचक्र को कैसे भेद पायेंगे, यह आज का यक्ष प्रश्न है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’
www.dainikdehat.com

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