देश में इस्लामोफोबिया खड़ा किया जा रहा है. लेकिन केंद्र सरकार खामोश है. उसकी खामोशी पर सवाल उठते हैं, क्योंकि ऐसे तत्वों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. देश में मुसलमानों की शिक्षा, रोजगार की दिशा में टांग अड़ाया जा रहा है. मुसमालों के खिलाफ और इस्लाम के खिलाफ नफरत का अभियान चलाया जा रहा है. समाज नागरिक संहिता के जरिए देश की एकता और अखंडता पर चोट पहुंचाया जा रहा है. कुछ ऐसे ही बयान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के तीन दिवसीय आम अधिवेशन में मौलाना महमूद मदनी ने दिये. इससे पहले, उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि भारत इस्लाम की धरती है. इस देश पर मुसलमानों का बराबर हक है.
मौलाना मदनी ने लगाए गंभीर आरोप
बता दें कि जमीयत का आम अधिवेशन शुक्रवार से चल रहा है, जो रविवार को खत्म होगा. इस अधिवेशन में देश के मौजूदा हालात पर व्यापक चर्चा हो रही है. इसी अधिवेशन में मौलाना मदनी ने कहा कि मदरसों और इस्लाम पर लगातार हमले हो रहे हैं. जबकि मदरसों में शिक्षा दी जाती है. लेकिन निशाना हमें बनाया जाता है. हकीकत ये है कि मदरसों से निकले छात्रों-उलेमाओं ने आजादी की जंग लड़ी थी. लेकिन आज मदरसों से जुड़े लोगों को मौजूदा सरकार झूठे मामलों में गिरफ्तार किया जा रहा है. इस अधिवेशन के प्रस्ताव में कहा गया है कि जमीत मदरसों में आधुनिक शिक्षा की हिमायती है. इस दौरान समान नागरिक संहिता पर भी बातचीत की गई. इस दौरान कहा गया है कि आजादी के समय संविधान निर्माताओं ने गारंटी दी थी कि मुसलमानों के धार्मिक मामलों में छेढ़छाड़ नहीं की जाएगी, लेकिन तीन तलाक, खुला और हिजाब के मामलों में बदलाव कर दिया गया. हालांकि इस दौरान ये भी कहा कि अगर शरीयत के नियमों का सही से पालन किया जाए, तो कोई भी सरकारी कानून उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.
भारत मुसलमानों की पहली मातृभूमि
बता दें कि शुक्रवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने बताया था कि भारत मुसलमानों की पहली मातृभूमि है. उन्होंने कहा कि भारत हमारा देश है, जितना ये देश नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का है उतना ही ये देश महमूद का भी है. न महमूद इनसे एक इंच आगे हैं और न वो महमूद से एक इंच आगे हैं. साथ ही इस धरती की खासियत यह है कि ये खुदा के सबसे पहले पैगंबर अबुल बशर सैय्यद आदम की जमीन है.