इस्राइल की बमबारी में रविवार को उत्तरी गाजा में 13 फलस्तीनियों की मौत हो गई। लगातार हमलों के चलते गाजा सिटी से हर दिन हजारों लोग पलायन कर रहे हैं, जिनमें से कई हमलों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं। लोग दक्षिण की ओर अल-मवासी शिविर की तरफ बढ़ रहे हैं, जिसे सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है, लेकिन वहां भारी भीड़ और जरूरी सुविधाओं की कमी देखी जा रही है। यह जानकारी अल-जजीरा की रिपोर्ट में दी गई।
फलस्तीनी सिविल डिफेंस के अनुसार, शनिवार को ही करीब छह हजार लोग गाजा सिटी छोड़कर निकल गए। अनुमान है कि अब भी लगभग नौ लाख लोग शहर में मौजूद हैं, हालांकि यह संख्या तेजी से कम हो रही है। अल-जजीरा के संवाददाता हमजा मोहम्मद के मुताबिक, गाजा सिटी धीरे-धीरे खाली हो रही है—इमारतें, परिवार और पूरी की पूरी बस्तियां उजड़ रही हैं। जल्द ही यह शहर केवल एक स्मृति बनकर रह सकता है।
दक्षिण की ओर पलायन कर रहे खलील मतर नामक एक फलस्तीनी नागरिक ने कहा, “हम लगातार चल रहे हैं, हमारे साथ बीमार लोग भी हैं। हमें नहीं पता कहां जाएंगे, क्योंकि कोई जगह सुरक्षित नहीं है।” कई निवासियों का कहना है कि मजबूरी में वे इस्राइल की निकासी चेतावनियों का पालन कर रहे हैं और अल-मवासी शिविर का रुख कर रहे हैं। हालांकि, वहां भी भोजन, पानी और आश्रय की भारी किल्लत है।
विस्थापितों की स्थिति बेहद दयनीय होती जा रही है। एक व्यक्ति ने बताया, “पिछले हफ्ते से हम सिर्फ यही सोच रहे हैं कि आखिर अब कहां शरण लें। मेरा परिवार बड़ा है, बच्चों, मां और दादी के साथ हालात और भी कठिन हैं। अब सिर्फ मिसाइलें ही नहीं, बल्कि भूख भी हमें मार रही है।” उन्होंने आगे कहा कि जिस तंबू में उनका परिवार दो साल से रह रहा था, वह अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है और कहीं और शरण पाना असंभव लग रहा है। उनके शब्दों में, “विस्थापन ऐसा है जैसे शरीर से आत्मा निकल जाए। हमें समझ नहीं आ रहा कि अब कहां जाएं।”