कुछ छोटी-छोटी घटनायें हैं। इन्हें छोटी सी चिंगारी कहना ठीक रहेगा। सौभाग्य से ये चिंगारी शोला नहीं बनीं। पुलिस-प्रशासन की सक्रियता और नागरिकी समझ-बूझ से समाज में शान्ति बनी रही।
मुज़फ्फरनगर के मिश्रित आबादी वाले मौहल्ला रामपुरी के निवासी महेश पाल के मकान के पीछे रहने वाला गफ्फूर उसे परेशान करने के मकसद से उसके घर पर पथराव कर देता था। 11 अगस्त को महेशपाल के घर पर फिर पथराव हुआ। पथराव से सहन में बैठी महेशपाल की पत्नी का सिर फट गया। डायल 112 पर सूचना मिलते ही पुलिस मैके पर पहुंची और घायल महिला को अस्पताल में भर्ती कराया। पथराव करने वाले दिलनवाज तथा जावेद को गिरफ्तार कर लिया। मौहल्ले में दोनों समुदायों के लोग रहते हैं किन्तु लोगों की समझदारी और पुलिस की तत्परता से कोई अनहोनी घटना नहीं हुई।
12 अगस्त को भोपा (मुजफ्फरनगर) क्षेत्र के ग्राम तिस्सा निवासी मेहताब अली ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को सही ठहराते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली- ‘ऐसा हिन्दुस्तान में भी होना है।’ लाखों लोगों ने पोस्ट पढ़ी। चरथावल थाना क्षेत्र के ग्राम दूधली निवासी सोहनवीर ने भोपा पुलिस से मेहताब के विरुद्ध साम्प्रदायिक वैमनस्य फ़ैलाने व देशद्रोह की धाराओं में चालान करने की प्रार्थना की किन्तु भोपा पुलिस ने शान्तिभंग करने की धारा लगा कर मेहताब का चालान किया।
20 अगस्त को मुजफ्फरनगर के कस्बा पुरकाजी स्थित गोगा जाहरवीर म्हाड़ी के सामने वाहन खड़ा करने से मना करने पर दूसरे सम्प्रदाय के कुछ युवकों ने पुजारी व उसके पुत्र पर हमला कर दोनों को घायल कर दिया। यहाँ भी हिन्दू-मुस्लिमों की मिश्रित आबादी है किन्तु पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए हमलावर फुरकान, रिफाकत, गुलशन व सरताज को गिरफ्तार कर मामला संभाल लिया।
इसी दिन मुज़फ्फरनगर के समीप ग्राम नरा के विश्वकर्मा इंटर कालेज के प्रांगण में स्थापित भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति खंडित कर दी गई। हिन्दू समाज में रोष व्याप्त होने के बाद भी शान्ति बरती गई।
गौरतलब है कि नासिक (महाराष्ट्र) में किसी हिन्दू साधु की कथित टिप्पणी को लेकर कुछ मौलाना जिला मुज़फ्फरनगर में भड़काऊ भाषण देकर माहौल खराब करने में जुटे हैं। जिन लोगों ने बांग्लादेश के हिन्दुओं के नरसंहार पर एक शब्द भी नहीं कहा वे धमकियां देकर मुजफ्फरनगर की फिजा में ज़हर घोलना चाहते हैं। पुलिस प्रशासन, अमनपसन्द नागरिक इस परिस्थित में चौकन्ने हैं। छोटी सी चिंगारी कब शोला बन जाए, कहा नहीं जा सकता।
गोविन्द वर्मा