घर-घर दीप जले !

यह लेख कुछ बड़ा हो जायगा, सभी पाठकों से विनम्र प्रार्थना है कि मेरी लेखकीय गलतियों, भाषा की अशुद्धियों तथा तथ्यों की क्रमबद्धता एवं प्रस्तुतिकरण की त्रुटियों को नज़रअंदाज़ कर इस लेख को पढ़ने की कृपा करें।

अयोध्या के श्रीराम मन्दिर के विध्वंस और वहां औरंगज़ेब के मंत्री (जो भी ओहदा हो) मीर बाकी के मस्जिद तामीर करने की बात बचपन से सुनता रहा। गंगा-जमनी तहज़ीब और हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा की बातें भी होती रहीं। इसी बीच श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति और मीर बाकी द्वारा तोड़े गये मन्दिर के पुनर्निर्माण को लेकर जबरदस्त आन्दोलन देश में चला। सोमनाथ से आरम्भ की गई रथयात्रा को रोक लालकृष्ण आडवाणी की लालू प्रसाद ‌याद‌व द्वारा गिरफ्तारी और अयोध्या में रामभक्तों पर मुलायम सिंह यादव द्वारा गोली चलवाने के आदेश से देश का माहौल तनावग्रस्त हो चुका था। लोग मुलायम सिंह को मुल्ला मुलायम कहने लगे थे। बिहार और उ.प्र. के दोनों यादवी नेताओं में होड़ लगी थी कि कौन ज़्यादा राम व हिन्दू विरोधी है। मुलायम ने तो यहां तक कह दिया कि 16 ही राम सेवक मरे हैं, 40 भी मर जाते तो अफसोस न होता।

ऐसे उद्वेलित समय में आन्दोलन के पुरोधा, भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक अशोक सिंघल मुजफ्फरनगर पधारे। ठीक तारीख व समय स्मरण नहीं। समाचार ‘देहात’ में छपा था किन्तु फाइलें खुर्दबुर्द हैं। सम्भवतः 1985 की बात है। सिंघल साहब की प्रेस कांफ्रेस डॉ. सुरेशचन्द्र संगल (प्रवक्ता तथा ‘जनसत्ता’ के संवाददाता) ने आलू मंडी में श्री लालसिंह नल वालों की दुकान के सामने गली में आयोजित कराई थी। तब पत्रकारों की संख्या कम ही थी। अशोक सिंघल के साथ मुरादाबाद के प्रमुख कांग्रेसी नेता और उत्तरप्रदेश के कैबिनेट मंत्री दाऊद‌याल खन्ना को उनके साथ देख कर आश्चर्य हुआ। प्रेस कांफ्रेंस में सिंघल साहब ने प्राचीन मन्दिर के निर्माण से लेकर उसके विध्वंस तथा बाद में रामचबूतरे से रामलला के ढांचे में विराजमान होने तक का विवरण दिया। प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार विजय गिरि (जो वास्तव में पत्रकार न होकर एक प्रेस के मैनेजर थे) ने आन्दोलन पर कुछ असंगत टिप्पणी कर दी, जिसका आशय था कि मन्दिर आन्दोलन से देश की हिन्दू-मुस्लिम एकता भंग होगी।

इस कथन से सिंघल जी असहज हो गए। उन्होंने पत्रकारों को एक पुस्तिका दी जिसमें 11वीं शताब्दी में चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य द्वारा बनाये भव्य राममन्दिर का विवरण, 1527 में मीर बाकी द्वारा मन्दिर के विध्वंस और मंदिर को बचाने के लिए तत्कालीन पुजारी श्याम नंदन जी तथा भीटी रियासत के राजा महताब सिंह सहित एक लाख 74 हजार रामभक्तों के प्राणोत्सर्ग और औरंगज़ेब की बर्बरता का उल्लेख था। पुस्तिका में तथ्यों, प्रमाणों के साथ छापा गया था कि जन्मभूमि को मुक्त कराने को कब और कितने हिन्दुओं ने शहादत दी। पं. देवीदीन पांडेय के नेतृत्व में ग्राम सराय, सिसिंडी, राजेपुर के हजारों सूर्यवंशियों व मीर बाकी की सेनाओं के बीच युद्ध का उल्लेख है। हंसवर के महाराजा रणविजय सिंह और उनकी वीरगति के बाद रानी जयराज कुमारी के राम मंदिर की मुक्ति के लिए प्राणों की आहुति देने का विवरण है।

पुस्तिका में राममन्दिर के निर्माण, ध्वस्तीकरण व उसकी मुक्ति तथा प्राचीन मंदिर के अस्तित्व के विषय में अनेक ऐतिहासिक एवं पुरातत्‍वीय साक्ष्य दिये हुए थे। अनेक फोटो, उत्खनन में मिले साक्ष्यों के चित्र व प्रसिद्ध पुरातत्वविद् प्रोफेसर बी. बी. लाल, के.के. मुहम्मद व काशी विश्वविद्यालय द्वारा खोदाई में प्राप्त हिन्दू धार्मिक प्रतीकों के चित्र भी दिये थे। सिंघल साहब ने कहा- पत्रकारों को कुछ ‌बोलने व लिखने से पूर्व कुछ अध्ययन भी कर लेना चाहिए। प्रेस कांफ्रेंस हंगामे में खत्म हो गई किन्तु आज वे तथ्य, जानकारियां, डॉ अशोक सिंघल का जुझारूपन तथा उत्सर्ग की भावना और लाखो रामभक्तों के बलिदान से सदियों पुराना स्वप्न साकार होने जा रहा है।

राम, राममंदिर और रामायण पर मुझ जैसा तुच्छ अज्ञानी क्या लिख सकता है? यह सामर्थ्य तो करोड़ों में से कुछ विरलो को ही राम कृपा से प्राप्त होती है। जिन्होंने श्रीराम पर लिखा उनके सम्मान में नत‌मस्तक होकर हम धन्य होते हैं।

दुराग्रही एवं आसुरी शक्तियां तो सृष्टि के आरम्भ से ही मौजूद रही हैं। राम के युग में भी थीं। आज भी हैं। ये लालकृष्ण आडवाणी को लेकर बहुत उछल-कूद मचा रहे थे। आडवाणी जी ने कहा- “नियति की इच्छा से मन्दिर निर्माण हो रहा है। भगवान चाहते हैं ये काम नरेन्द्र मोदी के हाथों सम्पन्न हो।”

नरेन्द्र मोदी ने 11 जनवरी 2024 को पंचवटी धाम (नाशिक) से 11 दिवसीय अनुष्ठान आरंभ किया। श्री कालाराम मंदिर में स्वयं सफाई की। 13 को ‘हर घर मंदिर, हर घर उत्सव’ भजन गाया। लोहड़ी की शुभकामनायें दी। मंत्री एल. मुरुगन के आवास पर पोंगल उत्सव, 14 को अपने आवास पर गोवंश की पूजा व गुड़ खिलाया, 15 जनवरी को आदिवासी महा अभियान, 16 जनवरी को आंध्रप्रदेश के वीरभद्र मंदिर में दर्शन, 17 जनवरी को केरल के त्रिप्रयार में गुरुवयूर मंदिर में पूजा-अर्चना, 18 जनवरी को उड़िया भाषा में भजन साझा किया। 19 जनवरी बैंगलूरु में व सोलापुर में जन कार्यक्रम, 20 जनवरी को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में श्री अरुलमिगु रामनाथ स्वामी मंदिर में दर्शन व पूजा। 21 जनवरी को धनुषकोडी के कोठंडारामस्वामी में दर्शन-पूजा। अरिचल मुनाई में रामसेतु स्थल को प्रणाम किया। 11 दिनों फर्श पर सोना, मात्र नारियल पानी पीना और गर्भगृह में प्रतिष्ठित रामलला के प्रथम दर्शन करने का सौभाग्य रामकृपा से मिलता है। उन्होंने पूरे विश्व को राममय कर दिया।
सिय राम मय सब जग जानी,
करहु प्रणाम जोरी जुग पानी॥

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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