जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाने के प्रस्ताव को एलजी की मंजूरी

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ है। उमर अब्दुल्ला की नवगठित सरकार ने कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा देने की आग्रह काप्रस्ताव पास किया था। अब केंद्रशासित प्रदेश के कैबिनेट की ओर से पारित प्रस्ताव को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंजूरी दे दी है।

अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा कि गुरुवार को उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य का दर्जा उसके मूल स्वरूप में बहाल करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था। उपराज्यपाल ने कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जम्मू-कश्मीर की कैबिनेट ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के साथ मामला उठाने के लिए अधिकृत किया है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में दस साल के बाद हुए चुनाव के दौरान उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को मुद्दा बनाया था। सरकार गठन के बाद कैबिनेट में इस बाबत प्रस्ताव पारित किये गये थे। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शीघ्र ही दिल्ली जाएंगे और दिल्ली में प्रधानमंत्री सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। कैबिनेट की बैठक में 4 नवंबर को श्रीनगर में विधानसभा का सत्र बुलाने का भी फैसला हुआ है। एलजी से विधानसभा बुलाने का आग्रह किया गया है। कैबिनेट की बैठक में मुबारिक गुल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने का निर्णय किया गया है। वह 21 अक्टूबर को निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे। उपराज्यपाल ने मुबारिक गुल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है। इसके साथ ही कैबिनेट के प्रस्ताव में उपराज्यपाल द्वारा दिये जाने वाले अभिभाषण का मसौदा भी पेश किया गया। इस मसौदे पर मंत्रिमंडल बाद में चर्चा करेगी।

दूसरी ओर, उमर अब्दुल्ला कैबिनेट की ओर से केवल जम्मू-कश्मीर को केवल राज्य के दर्जा का प्रस्ताव पारित करने के प्रस्ताव की निंदा की है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह चुनाव में किये गये वादे से अलग है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को कानून बनाकर अनुच्छेद 370-35ए हटा दिया था और राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था। उसके बाद जम्मू-कश्मीर राज्य से केंद्रशासित प्रदेश में बदल गया था। चुनाव के दौरान धारा 370 की फिर से बहाली की मांग भी उठी थी। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) ने नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी का रूख चुनाव से पहले की तुलना में पूरी तरह से अलग है।

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