दिल्ली। एमसीडी की स्थायी समिति का चुनाव गुरुवार को संपन्न हुआ, जो करीब ढाई साल बाद पहली बार हुई बैठक थी। भाजपा की वरिष्ठ पार्षद सत्या शर्मा ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी प्रवीण कुमार को हराकर अध्यक्ष का पद हासिल किया। सत्या शर्मा को 11 वोट मिले, जबकि प्रवीण कुमार को सात। वहीं, उपाध्यक्ष पद पर भाजपा के सुंदर सिंह चुने गए, जिन्होंने आम आदमी पार्टी की पार्षद मोहिनी को 11-7 से हराया। स्थायी समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं।
महापौर राजा इकबाल सिंह ने समिति सदस्य होने के नाते पीठासीन अधिकारी की भूमिका निभाते हुए अध्यक्ष पद के चुनाव करवाए। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद महापौर ने विजेता पदाधिकारियों को बधाई दी। सत्या शर्मा ने कहा कि पिछले ढाई साल में विकास कार्य ठप थे, लेकिन अब स्थायी समिति के गठन के साथ दिल्ली को साफ-सुथरा और सुंदर बनाने के लिए ठोस प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने अहमदाबाद विमान हादसे पर दुख व्यक्त किया और सभी सदस्यों ने मृतकों की श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन रखा।
महिला पार्षद को पहली बार अध्यक्ष पद
यह चुनाव कई दृष्टिकोण से ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि एकीकृत एमसीडी के इतिहास में पहली बार किसी महिला पार्षद को स्थायी समिति का अध्यक्ष चुना गया है। इससे पहले महिला पार्षद अधिकतम उपाध्यक्ष पद तक ही पहुंच पाई थीं, जबकि अध्यक्ष पद पर हमेशा पुरुषों का ही प्रभुत्व रहा था। हालांकि एमसीडी के विभाजन के बाद बने तीन नगर निगमों में महिला पार्षदों को स्थायी समिति का अध्यक्ष चुना गया था।
ढाई साल चली राजनीतिक उलझनों के बाद समिति का गठन
एमसीडी की सबसे महत्वपूर्ण स्थायी समिति पिछले ढाई साल से अदालतीन विवादों और राजनीतिक तनाव के कारण गठन से वंचित रही। फरवरी 2023 में छह सदस्यों के चुनाव में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठे और मामला कोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिणाम घोषित हुए, लेकिन वार्ड समितियों के चुनाव लंबित रह गए, जिससे स्थायी समिति पूरी नहीं हो सकी। वार्ड समितियों से एक-एक सदस्य चुना जाता है, इसलिए समिति अधूरी बनी रही।
2024 के अंत में उपराज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद चुनाव संपन्न हुए और समिति का गठन लगभग पूरा हुआ। इस दौरान एक और विवाद हुआ जब कमलजीत सहरावत के सांसद बनने के बाद उनके रिक्त स्थान पर चुनाव कराने को लेकर असहमति हुई। उपराज्यपाल ने अतिरिक्त आयुक्त के नेतृत्व में चुनाव कराने का आदेश दिया, जिसे मेयर शैली ओबेरॉय ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि अदालत ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई, पर राजनीतिक गतिरोध की वजह से पुनर्गठन आगे नहीं बढ़ पाया।
अब, लगभग तीन वित्तीय वर्ष और एमसीडी चुनाव के ढाई साल बाद स्थायी समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव संपन्न हुआ है। इसके साथ ही एमसीडी की नीतियों और बजट पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है। स्थायी समिति के गठन से एमसीडी प्रशासन में स्थिरता और जवाबदेही लौटने की संभावना बनी है।