चौधरी चरण सिंह का सन्देश !

लोकसभा के चुनाव नज़दीक आते ही राजनीतिक दलों ने ‘यात्राएं’ निकालने की मुहिम शुरू कर दी हैं। कोई देश जोड़ने या प्रदेश जोड़ने के नाम पर और कोई एक भारत श्रेष्ठ भारत के नाम पर यात्रायें निकाल रहा है। राष्टीय लोकदल ने भी ‘चौधरी चरण सिंह सन्देश यात्रा’ निकालने का निर्णय लिया है। यह यात्रा पूरे उत्तर प्रदेश में घूमकर चौधरी साहब के सन्देश का प्रचार करेगी।

यह एक सुखद संयोग है कि चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन 23 दिसंबर के नज़दीक उनके नाम की यात्रा निकल रही है। विचारणीय है कि सत्ता में ईमानदारी, सत्य और सरलता के प्रतीक चौधरी चरण सिंह के आचरण और कर्म कैसे थे, उनके विचार कैसे थे और उनका सन्देश क्या था ?

मुख्य संसदीय सचिव पद से लेकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले इस कद्दावर नेता का व्यक्तित्व और कृत्तित्व कैसा था, क्या उन्होंने कभी छल-प्रपंच, जाति, सम्प्रदाय, धन कुबेरों की वन्दना-स्तुति करने की राजनीति की थी? राजनीति के दलदल में रहते हुए चौधरी साहब का व्यक्तित्व ‘मनसा-वाचा-कर्मणा’ जैसा रहा।

हमने अपनी किशोर अवस्था से चौधरी चरण सिंह की सभाओं, बैठकों की रिपोर्टिंग शुरू की। शामली, बुढ़ाना, शाहपुर, मीरापुर, नंगला मंदौड़ और मुज़फ्फरनगर आदि स्थानों में उनकी सभाओं को कवर किया है। खेड़ी सूंडियान में पुलिस की बर्बरता की जानकारी लेने पहुंचे चौधरी साहब के साथ गांव में भी पंहुचा था। जनपद से बाहर की मीटिंगों को भी कवर किया। ‘देहात भवन’ में उनको सदा भोजन कराने का सौभाग्य भी मिला।

जब वे मुख्यमंत्री थे तब माल एवेन्यू स्थितः उनके आवास पर चरणस्पर्श करने से धन्य हुआ। उनके निधन पर बड़े भाई सत्यवीर अग्रवाल के साथ इस महान पुरुष के अंतिम दर्शन भी किये।

चौधरी साहब की सरलता, स्पष्टवादिता के अनेक प्रकरण मुझे याद हैं और बुजुर्गों से सुने भी हैं। इन सब का उल्लेख करना इसलिए अनुपयुक्त हो गया है कि आज की आपाधापी और स्वार्थलिप्सा के युग में कोई प्रेरणादायक बात सुनने को तैयार नहीं है, बस लोग केवल वंशवाद को कायम रखने और अपने पुरखों के सद्कर्मों को भुनाने के लिए ही प्रयत्नशील हैं। यह जग की रीति है। इस पर मलाल करने का कुछ लाभ नहीं।

आज हमारी निगाह में नूरपुर के उस छोटे से मकान का नक्शा घूमता है जहां किसानों का मसीहा पला और बढ़ा। वह छोटी सी कुटिया आज भी उसी स्थिति में है। अलबत्ता ग्रामवासियों ने चंदा एकत्र कर चौधरी साहब की एक छोटी सी मूर्ति वहां स्थापित कर दी है।

23 दिसंबर का यह सन्देश है कि चौधरी साहब के सन्देश के नाम पर यात्रा निकालने वाले उनके सिद्धांतों व आचरण का अनुसरण कर लें।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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