31 अक्टूबर: मुजफ्फरनगर- जिला सैनिक भवन प्रांगण में नाबार्ड के वित्तपोषित स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित व उत्पादित सामग्रियों, वस्तुओं की प्रदर्शनी का शुभारम्भ लीड बैंक मैनेजर सुरेन्द्र सिंह व नाबार्ड के जिला विकास अधिकारी अभिषेक श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया। 27 से 29 अक्टूबर तक चलने वाली तीन दिवसीय प्रदर्शनी का समापन कृषि विज्ञान केन्द्र बघरा की प्रभारी डॉ. सविता आर्य ने किया। प्रदर्शनी में कुल 38 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें सर्वाधिक 35 महिलायें शामिल थीं। प्रदर्शित वस्तुओं में अचार, पापड़, चिप्स, मसाले, शॉल, मफलर, जॉकट्स, कम्बल, पायदान, चादरें, गोबर से निर्मित दीपक व गणेश, लक्ष्मी, शिव की मूर्तियां, नारियल के खोल से निर्मित झालरें, हवाई चप्पल आदि सम्मिलित थीं। खतौली के एक समूह ने आर्गनिक गुड़, कैमिकल रहित सिरका, बर्मी व कम्पोस्ट खाद आदि का प्रदर्शन किया हुआ था।

सभी जानते हैं कि सैनिक भवन शहर के बीचोंबीच स्थित एक प्रमुख स्थान है, जहां से नगर के लाखों लोग गुजरते हैं किन्तु यह देख कर अत्यंत खेद व निराशा हुई कि महिला समूहों के कौशल को प्रदर्शित करने वाले इस प्रयास की ओर शहर व जिले के लोगों का ध्यान कतई नहीं गया। जो नाममात्र के दर्शक आये भी, वे सिर्फ तमाशबीन के रूप में आये, हस्तशिल्प के सामानों की बिक्री तो लगभग शून्य रही।

इसका एक कारण यह हो सकता है कि मुजफ्फरनगर के लोगों की रुचि नाच-गाने, नौटंकी वाली उस नुमाइश को देखने की है, जहां बाहर से आये दुकानदार दर्शकों की जेब काटते हैं। किसी विशेष प्रयोजन से लगाई प्रदर्शनी में यहां के लोगों की रुचि नहीं है।
इसका दूसरा कारण प्रदर्शनी का व्यापक प्रचार न हो पाना है। अखबारों में विज्ञापन देने के साथ-साथ प्रचार के अन्य माध्यमों का भी उपयोग किया जाना चाहिये था। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि व्यावसायिक, वाणिज्य तथा विकास से जुड़े संस्थान भी अन्य सरकारी महकमों की तर्ज पर केवल खानापूरी करने और कागजों का पेट भरने के आदी हैं। लक्ष्य के प्रति अधिकारी की व्यक्तिगत रुचि, विजन तथा ऊर्जा का सर्वथा अभाव है। प्रदर्शनी स्थल का किराया भी दिया जायगा, प्रतिभागियों का खर्चा भी निर्वहन होगा, उन्हें सर्टिफिकेट भी मिलेंगे किन्तु प्रदर्शनी का जो उद्देश्य व लक्ष्य है वह इन कोरी औपचारिकताओं से पूरा नहीं होता।
फिर भी इस प्रदर्शनी में भाग लेने वाली माताओं, बहनों और बेटियों के हौसले को हम सलाम करते हैं क्योंकि तमाम विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करने वाली भारतीय नारी शक्ति का उन्होंने इस प्रदर्शनी में परिचय दिया। प्रदर्शनी में अपनी श्रम शक्ति, कौशल व जीवन में आगे बढ़ने का अटूट हौसला रखने वाली हम इस नारी शक्ति के चरणों में प्रणाम करते हैं जो संकटों को झेलते हुए अपने श्रम व साहस के बल पर परिवार के उत्थान व भरण-पोषण हेतु संघर्षरत हैं। यह नारी शक्ति ही भारतीय समाज के अस्तित्व की बुनियाद है।
प्रदर्शनी में एक ऐसी बेटी से भेंट हुई जिसका सगाई के बाद जबरदस्त एक्सीडेंट हो गया था किन्तु उसका हौसला और कर्मशीलता अटूट रहा। उसने प्रदर्शनी में अपने अनेक उत्पादन प्रदर्शित किये हुए थे। नाबार्ड और अन्य व्यावसायिक बैंक तथा सहकारी संस्थायें व उद्ययमी प्रशंसा के पात्र हैं।
हम अपने पाठकों की जानकारी के लिये स्वयं सहायता समूहों के नाम, उनके उत्पादों की सूचि व फोन नम्बर प्रकाशित कर रहे हैं।

नया कदम स्वयं सहायता समूह: मठरी, पापड़, कचरी, अचार, हाथ से बने जवे।
कमलेश गौतम : 9358383250
नंदनी स्वयं सहायता समूह: ग्राम लड़वा- गाय के गोबर से निर्मित दीपक, लक्ष्मी-गणेश, तोते आदि। अंजू: 8273702204

नारीशक्ति स्वयं सहायता समूह, सलेमपुर- 8191991601
एकता स्वयं सहायता समूह, नया गाँव भन्दौड़ा: ठाकुर जी के वस्त्र आदि- 8979664294
पूनम: 7902064561: मुल्तानी मिट्टी के दीपक।
भारत स्वयं सहायता समूह, सोहजनी जाटान: रक्तचाप नियंत्रण करने वाली चप्पलें, झालर, सजावट का सामान, मिट्टी के दीपक आदि। संगीतादेवी- फोन: 8006868046
अब्बास मेम्बर, मौ. कम्बलयान, क़स्बा मीरांपुर-खादी की चादरें, दरी, खेस, पायदान आदि
फोन: 9897388074
गृहणी स्वयं सहायता समूह, 41 ए-नईमंडी, मुजफ्फरनगर- 9891034361
सार्थक स्वयं सहायता समूह, गाय का शुद्ध घी, गुड़, खाँड, शक्कर, पापड़ आदि
फोन: 9997638100

वासु स्वयं सहायता समूह, बुडीना कलां
किशोरी सवयं सहायता समूह, ग्राम बुडीना कलां फोन: 8479582379
कशिश स्वयं सहायता समूह, ढिंढावली
काव्यांश स्वयं सहायता समूह, ग्राम ढिंढावली- 7302034062
खतौली आर्गनिक फार्मा, गुड़, शक्कर बर्मी खाद आदि।
आकाश स्वयं सहायता समूह, हनुमान टीला रोड, मुजफ्फरनगर- हर प्रकार के पापड़, व्रत के पापड़ कचरी, सभी प्रकार के अचार-मुरब्बे फोन सरिता रानी: 9084617042
किट्टी स्वयं सहायता समूह, अवध बिहार, मुजफ्फरनगर- शारदाः 9412113314

मानसी नामदेव– मिट्टी की मूर्तियाँ, खिलौने, पेंटिंग, तोरण, झालर आदि फोन: 9927103140
अमृत स्वयं सहायता समूह, अलमासपुर, मुजफ्फरनगर- फोन: 9520517167
स्वयं सहायता समूहों की कामयाबी उनकी कर्मठता एवं ईमानदारी पर निर्भर है। जहां ऋण या वित्तीय सहायता व्यर्थ के दूसरे कार्यों में लगा दी जाती है, वहाँ ये कुटीर उद्योगधंधे सिर्फ मुखौटा बन कर रह जाते हैं। धनराशि के दुरुपयोग से वित्तीय संस्थाओं, बैंकों को और अन्ततः ऋण लेने वालों को बहुत परेशानी होती है। अतः जरूरी है कि स्वयं सहायता समूह व्यावहार रूप में कार्यरत रहें, मुखौटा न बनें।

आलेख- गोविन्द वर्मा सभी चित्र- हिमांशु बिंदल