स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट नहीं तो यौन अपराध नहीं-फैसले पर SC की रोक

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पॉक्सो के एक केस में बॉम्बे हाईकोर्ट से आरोपी को बरी किए जाने वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी मांगी है. मामले में सुप्रीम कोर्ट में CJI ने कहा कि हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी तलब करेंगे. अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में इस मामले को उठाया था.

अटॉर्नी जनरल ने सवाल उठाते हुए इसे खतरनाक बताया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए आरोपी को बरी करने पर भी रोक लगा दी है.

हाल ही, बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि किसी नाबालिग की ब्रेस्ट को बिना ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट के छूना POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा. इस फैसले में आरोपी को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था, जो पॉक्सो के तहत आरोपी था. कोर्ट ने आरोपी को बरी करने का आधार इस बात को बनाया था कि उसका बच्ची के साथा सीधा शारीरिक संपर्क नहीं हुआ है.

क्या है पूरा मामला?

हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने आदेश में कहा था कि किसी भी छेड़छाड़ की घटना को यौन शोषण की श्रेणी में रखने के लिए घटना में ‘यौन इरादे से किया गया स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’ होना चाहिए.

ट्रायल कोर्ट ने एक 39 साल के शख्स को 12 साल की बच्ची का यौन शोषण करने के अपराध में 3 साल की सजा सुनाई थी, जिसे कोर्ट ने संशोधित किया था. आरोपी बच्ची को कुछ खिलाने का लालच देकर अपने घर ले गया था जहां उसने बच्ची का ब्रेस्ट छुआ और उसकी सलवार उतारने की कोशिश की.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here