अब हिमाचल की अवैध मस्जिद का मसला

पहले अंग्रेजों ने, फिर कांग्रेस के कुछ खास नेताओं ने तास्सुबी, जुनूनी और कट्टरपंथी मुस्लिम नेतृत्व को बढ़ावा देकर बहुसंख्यक ‌हिन्दुओं व अल्पसंख्यक मुस्लिमों के बीच नफ़रत के विषैले बीज बो दिये, फिर इस साम्प्रदायिक वैमनस्य, टकराव के आधार पर देश के टुकडे करा दिए। मुस्लिम वक्फ बोर्ड का गठन भी एक ऐसा ही हथकंडा था जिससे मुस्लिम समुदाय में मुफ्त का माल हड़पने की लालसा चिरस्थायी बन गई, जबकि सुन्नी और शिया वक्फ़ बोर्ड़ों में माफिया और मुफ्तखोर घुस कर गरीब, मज़लूम मुस्लिमों की हक़तल‌फ़ी में जुट गए। एक सप्ताह पूर्व ही ओखला (दिल्ली) के आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खाँ को वक्फ संपत्तियों में 100 करोड़ रुपये का घोटाला करने के पुख्ता सबूत मिलने पर गिरफ्तार किया गया है।

मुद्दा यह नहीं कि वक्फ बोर्डों में कैसे और कितने घोटाले होते हैं। मुद्दा यह है कि वक्फ बोर्ड को असीमित और देश में प्रचलित कानूनों व अदालतों से भी ऊपर अधिकार दिये हुए हैं, जैसे दुनिया के किसी भी देश में नहीं हैं। वक्फ एक्ट के मुताबिक वक्फ बोर्ड यदि किसी भी संपत्ति पर हाथ रख दे तो वह संपत्ति उसी की हो जाती है। वक्फ के दावे को किसी अदालत, हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती । वक्फ की संपत्ति घोषित होने पर आप वक्फ बोर्ड के अपीलेट बोर्ड में ही अपील कर सकते हैं, जिस में वक्फ बोर्ड का ही वर्चस्व होता है।

इस एक्ट का फायदा उठाते हुए इलाहाबाद के उस अल्फ्रेड पार्क पर वक्फ का कब्जा हुआ, वही अल्फ्रेड पार्क जहां चन्द्रशेखर आज़ाद‌ शहीद हुए थे। वक्फ़ ने कब्जा बनाये रखने के लिए पार्क में अनेक मस्जिद व मजार के ढांचे खड़े कर दिए। महाभारतकालीन वर्णावृत्त (बरनावा-बागपत) के ऐतिहासिक पुरातन टीले पर पहले एक मुस्लिम ने स्वामित्व जताया, फिर वक्फ ने बरनावा के टीले को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया। मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के सामने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे लियाकत अली की निष्क्रांत संपत्ति को भी वक्फ अपनी संपत्ति बताता है। वक्फ बोर्ड तो मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन, जिला अधिकारी व एसएसपी आवास को अपनी जागीर बताता है। जिला अधिकारी आवास से वहलना चौक जाने वाली सड़क के किनारे किसी ने अभी एक वर्ष के भीतर रातोंरात एक मजार बना कर उस पर हरा रंग पोत दिया गया। किसी को न खबर हुई, न ऐतराज! वक्फ बोर्ड इस जमीन को भी अपनी संपत्ति कब घोषित कर दे, पता नहीं। हो सकता है कि सड़क को वक्फ की संपत्ति बना भी लिया गया हो।

वक्फ बोर्ड किस प्रकार निजी व सार्वजनिक जमीनों पर कब्जा कर उन्हें हथियाता है, इसका ताजा उदाहरण हिमाचल प्रदेश की संजौली की अवैध मस्जिद ‌है। हिमाचल की राजधानी शिमला की बस्ती संजौली में सरकारी जमीन पर एक मस्जिद बना ली गई। लोगों ने राज्य सरकार की भूमि का अतिक्रमण कर मस्जिद बनाने पर ऐतराज जताया तो नगर निगम ने मस्जिद के मुतवल्ली को सन् 2010 में पहला नोटिस भेज कर जमीन खाली करने को कहा। एक के बाद एक 7 नोटिस भेजे गए। 7वां नोटिस गया तो नगर निगम को सन् ‌2023 में पता चला कि जिस शख्स को नोटिस भेजे गए थे, उसका मस्जिद निर्माण से कोई ताल्लुक नहीं था। (यह काँग्रेस सरकार की अद्‌भुत कार्यप्रणाली को दर्शाता है।)

इस बीच मस्जिद पर चार मंज़िलें और खड़ी कर ली गईं। ज्ञातव्य है कि शिमला में ढाई मंजिलें तामीर करने की अनुमति है लेकिन मस्जिद की 5 मंजिलों पर सुखविन्दर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार को कोई ऐतराज नहीं हुआ।

राज्य सरकार की भूमि पर 5 मंजिला मस्जिद के अवैध निर्माण का मुद्दा हिन्दू जागरण मंच के अध्यक्ष कमल गौतम और प्रादेशिक छत्रिय संगठन के अध्यक्ष रमित सिंह ठाकुर ने जोर-शोर से उठाया । हजारों लोगों ने सड़‌क पर आकर अवैध मस्जिद हटाने और सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने की मांग की।

इसी बीच वक्फ बोर्ड ने सरकारी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया। जमीन हथियाने का यह पुराना हथकंडा फिर लोगों के सामने आ गया। हिमाचल सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने हिमाचल विधान सभा में स्पष्ट शब्दों में कहा कि संजौली में राज्य सरकार की भूमि हथिया कर अवैध मस्जिद ‌बनाई गई है। मस्जिद के आस-पास बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों ने जमीन घेर कर अपने ठिकाने बना लिए हैं। कोई महिला वहां से गुज़रती है तो वे उस पर फब्तियां कसते हैं।

लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि अतिक्रमणकारियों से निपटने के लिए कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू के पास दिल्ली से हाईकमान का पैगाम आ गया तो उनके स्वर बदल गए। मुख्यमंत्री जी ने फरमाया कि हमारा संविधान हर किसी को भारत में कहीं भी बसने की अनु‌मति देता है। मुख्यमंत्री ने बड़ी चालाकी से मुद्दे को घुमा दिया। यही कांग्रेस के वर्तमान कर्णधारों की नीति-रीति है। इस बीच नया जिन्ना बनने में जुटे हैदराबादी का बयान आया कि कांग्रेस का मंत्री भाजपा की भाषा बोल रहा है। क्या कांग्रेस की दुकान में मुहब्बत की जगह नफरत बिकने लगी है?

वक्फ बोर्ड के पास 1.2 लाख करोड़ रुपये की 8 लाख, 72 हजार, 321 अचल संपत्तियां हैं, 16 हजार 713 चल संपत्तियां हैं। ये संपत्तियां दिन ब दिन बढ़ती जाती हैं। संजौली की सरकारी जमीन पर कब्जा और अवैध मस्जिद इसका ताजा उदाहरण है।

गोविन्द वर्मा

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