पाकिस्तान ने भारत से बढ़ते तनाव पर ट्रंप से की मदद की गुहार

वॉशिंगटन. पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को भारत के साथ परमाणु जंग का डर सता रहा है. इसलिए दुनियाभर में पाकिस्तान अपने अधिकारियों और राजदूतों के जरिए भारत के साथ तनाव को कम करने की कोशिश में लगा है. इसी सिलसिले में उसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी दरवाजा खटखटाया है. अमेरिका में पाकिस्तान के दूत ने डोनाल्ड ट्रंप से अपील की है कि वे भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने में मदद करें, जबकि वे यूरोप और मिडिल-ईस्ट में भी संघर्षों को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

पाकिस्तानी राजदूत रिजवान सईद शेख ने न्यूजवीक के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, “अगर हमारे पास एक ऐसा राष्ट्रपति है जो इस प्रशासन के दौरान दुनिया में शांति के लिए खड़ा है, एक शांति निर्माता के रूप में विरासत स्थापित करने के लिए, या किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने युद्धों को समाप्त किया, युद्धों को नकारा और विवादों को सुलझाने में भूमिका निभाई, तो मुझे नहीं लगता कि कश्मीर से अधिक कोई बड़ा या चमकदार फ्लैश पॉइंट है, विशेष रूप से परमाणु संदर्भ में. हम उस पड़ोस में एक या दो देशों की बात नहीं कर रहे हैं जो परमाणु सक्षम हैं. इसलिए, यह बेहद गंभीर है.”

भारत और पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं, और चीन के पास भी हैं, जो दोनों देशों का पड़ोसी है. पीओके दशकों से नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच विवाद का केंद्र रहा है, जो पिछले हफ्ते एक और घातक मोड़ पर पहुंच गया जब इस्लामी आतंकवादियों ने पहलगाम शहर में 26 लोगों की हत्या कर दी, जिनमें से अधिकांश हिंदू पर्यटक थे. यह हमला उस समय हुआ जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और उनका परिवार भारत की यात्रा पर थे, जहां उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.

पहलगाम आतंकवादी हमले के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक और सैन्य संबंधों को कम कर दिया है, जिसका इस्लामाबाद ने भी जवाब दिया है. इसके बाद से भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने वाली नियंत्रण रेखा पर झड़पें शुरू हो गई हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और सूचना मंत्री ने आरोप लगाया है कि भारत की तरफ से एक सैन्य हमले की योजना बनाई जा रही है. स्थिति हर घंटे के साथ गंभीर होती दिख रही है.

शेख ने तर्क दिया कि ट्रंप प्रशासन को इस संकट को कम करने के लिए पहले की अमेरिकी कोशिशों से अधिक व्यापक और स्थायी पहल करनी होगी. उन्होंने कहा, “तो, मुझे लगता है कि इस खतरे के साथ जो हम सामना कर रहे हैं, एक अवसर है कि हम स्थिति को केवल तुरंत तनाव कम करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, इसे एक स्थायी समाधान की दिशा में ले जाएं. कश्मीर विवाद का एक स्थायी समाधान खोजने की कोशिश करें, ताकि स्थिति अस्थिर न रहे और बार-बार उभरती न रहे.”

‘तेजी से बदलती स्थिति’
पहलगाम में हुए हमले की स्पष्ट निंदा करते हुए और भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का पूरा समर्थन करने के बावजूद ट्रंप ने कश्मीर पर भारत-पाकिस्तान संघर्ष के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है. ट्रंप ने शुक्रवार को एयर फोर्स वन पर पत्रकारों से कहा, “खैर, मैं भारत के बहुत करीब हूं और मैं पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं, जैसा कि आप जानते हैं. उन्होंने कश्मीर में कई सालों से लड़ाई की है. कश्मीर विवाद लंबे समय से चल रहा है, शायद उससे भी ज्यादा. और कल का दिन बहुत बुरा था, वह बहुत बुरा था.” हालांकि, उन्होंने बाद में कहा, मुझे यकीन है कि वे इसे किसी न किसी तरह से इस विवाद को सुलझा लेंगे.”

कश्मीर में प्रतिद्वंद्वी शक्तियों के बीच संघर्ष वास्तव में काफी पुराना है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच आधुनिक संघर्ष 1947 के विभाजन से जुड़ा है, जब यूनाइटेड किंगडम ने अपने उपनिवेशों से वापसी की थी. दो नव स्वतंत्र राष्ट्रों ने तुरंत कश्मीर पर नियंत्रण के लिए युद्ध छेड़ दिया और तब से तीन और बड़े पैमाने पर संघर्ष किए हैं, जिनमें सबसे हालिया 1999 में हुआ था.

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