आज मेरठ के मौहल्ला पुरानी तहसील खन्दक निवासी प्रखर राष्ट्रवादी चिन्तक और विचारक, सम समाजिक विषयों पर बेबाक टिप्पणी करने वाले अजय मित्तल जी की तेहरवीं का संक्षित समाचार व पुष्पांजलि अर्पित करने का चित्र पढ़ने देखने को मिला।
मेरा उन से कभी साक्षात्कार नहीं हुआ किन्तु भारतीय संस्कृति के उन्नयन एवं उसकी रक्षा में सन्नध रहने की प्रेरणा देने वाले संक्षिप्त लेखों के माध्यम से मैं उनका सामीप्य सदा अनुभव करता था। उनके विचार प्रायः दैनिक पत्रों में पाठकों के पत्रों के अन्तर्गत अथवा संपादक के नाम पत्र, स्तम्भ के अधीन प्रकाशित होते रहते थे। अजय जी ने दशकों तक सहस्रों पत्रों के माध्यम से लाखों राष्ट्रप्रेमियों को अनुप्राणित किया और राष्ट्रभर में फैली दुराग्रही शक्तियों से सावधान रहने का अलख जलाया।
अजय जी का चले जाना बड़ी सामाजिक क्षति है। किसी निजी स्वार्थ, पद की लालसा से परे, अजय जी ने राष्ट्र की मूक सेवा की। मैं विनम्रभाव से उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। अजय जी के योगदान को विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए, राष्ट्रप्रेमियों से यह आग्रह भी करता है।
गोविन्द वर्मा