अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। विरोध की शुरुआत कैलिफोर्निया के लॉस एंजिलिस से हुई थी, जो अब कई प्रमुख शहरों में फैल चुका है। शनिवार को फिलाडेल्फिया में सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर सरकार की नीतियों के विरुद्ध नारेबाजी की। आयोजकों के अनुसार, देशभर में सैकड़ों स्थानों पर हुए प्रदर्शनों में लाखों लोग शामिल हुए।
लॉस एंजिलिस में हिंसा और तनाव
पिछले सप्ताह अमेरिका के आव्रजन विभाग ने अवैध प्रवासियों पर छापेमारी कर कई लोगों को हिरासत में लिया था। इसके खिलाफ लॉस एंजिलिस में विरोध उग्र हो गया और हिंसक झड़पें हुईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने वहां नेशनल गार्ड्स की तैनाती के आदेश दिए, जिससे जनाक्रोश और बढ़ गया। इसके बाद शहर के विभिन्न हिस्सों में आगजनी और दंगे देखने को मिले। फिलहाल स्थिति नियंत्रित है, लेकिन विरोध अब भी जारी है।
अन्य शहरों में भी उठा विरोध का स्वर
न्यूयॉर्क, डेनवर, शिकागो और ऑस्टिन सहित कई शहरों में लोगों ने सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण मार्च निकाला और ट्रंप प्रशासन की नीतियों का विरोध किया। वॉशिंगटन डीसी में आर्मी की 250वीं वर्षगांठ पर आयोजित मिलिट्री परेड में राष्ट्रपति ट्रंप की मौजूदगी के बीच भी लोगों ने विरोध कार्यक्रम किया। प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप के कटआउट के साथ विरोध जताया और नारे लगाए।
फासीवाद के आरोप और नाराज़गी
वर्जीनिया में प्रदर्शन के दौरान एक एसयूवी ने प्रदर्शनकारियों को टक्कर मार दी, जिससे एक 21 वर्षीय युवक घायल हो गया। पुलिस ने वाहन चालक को हिरासत में ले लिया है। प्रदर्शनकारियों ने “हमें राजा नहीं चाहिए” और “तानाशाही नहीं चलेगी” जैसे नारों के साथ लोकतंत्र की रक्षा की अपील की। कई लोगों ने अप्रवासियों के अमेरिकी समाज में योगदान को रेखांकित करते हुए ट्रंप की आव्रजन नीतियों की तीखी आलोचना की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को वोट दिया था, लेकिन अब उन्हें अफसोस हो रहा है क्योंकि सरकार की नीतियाँ तानाशाही की ओर बढ़ती दिख रही हैं।