राहुल बनाम राजीव

राहुल गांधी को भारत के भावी प्रधानमंत्री के रूप में तैयार और प्रस्तुत करने वाले सैम पित्रोदा ने पिता-पुत्र यानी राजीव गांधी और राहुल गांधी की तुलना करते हुए बेहूदी, अप‌मानजनक और अनावश्यक टिप्पणी कर डाली। ये वे ही पित्रोदा हैं जो कभी राजीव गांधी की सलाहकार मंडली के सदस्य थे और अब राहुल के राजनीतिक गुरु, दिशानिर्देशक और थिंक टैंक प्रमुख हैं।

क्या पित्रोदा को याद है कि राजीव गांधी के सानिध्य में आने से पहले उन्हें उनका पड़ौसी तक भी नहीं जानता था? सारी शोहरत उन्हें राजीव गांधी के शरणागत होने पर मिली। उनका दामन पकड़ा तो लोगों को पता चला कि बकरे की दाढ़ी वाला कोई जीव राजीव गांधी की छत्रछाया में पल रहा है।

वे अब कह रहे हैं कि राजीव गांधी के मुकाबले राहुल बहुत बुद्धिमान है। राजीव की बनिस्बत कुशल रणनीतिकार है। उनमें प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण हैं।

सैम पित्रोदा कह सकते हैं कि राजीव गांधी ने राहुल की तरह कैबिनेट नोट फाड़ कर असभ्यता का परिचय नहीं दिया। लोकसभा में किसी की ओर आंख नहीं मारी, अध्यक्ष और आसदी का बार-बार अपमान नहीं किया, सदन से निकलते हुए ‘फ्लाइंग किस’ नहीं उछाला, अध्यक्ष से आज्ञा लिए बिना किसानों को 2 मिनट की श्रद्धांजलि के लिए खड़े होना और मात्र 32 सेकेंट में कुर्सी पर पसरना, लगातार झूठ बोल कर सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगने वाले कारनामे राजीव गांधी ने नहीं किये। इसी लिए पित्रोदा की नज़र में राजीव बुद्धिमान नहीं थे।

राजीव गांधी यह सब करते तो वे भी बुद्धिमान तथा प्रवीण रणनीतिकार बन जाते। शालीन, सभ्य और सरलता से जीवन जीने वाला राजीव गांधी ही कह सकता था कि एक रुपये में से 15 पैसे ही जनता तक पहुंचते हैं। सैम पित्रोदा 5000 करोड़ रुपये के नेशनल हेरॉल्ड घोटाले के आरोपी से राजीव गांधी की तुलना कैसे कर सकते हैं? राजीव गांधी ने पंजाब से कबाड़ ट्रैक्टर मंगा कर संसद के सामने नहीं फूंका। ईडी कार्यालय के सामने सड़क पर जलते टायर नहीं फेंके। हर महीने बैंक खाते में एक लाख रुपये खटाखट-खटाखट आने के झूठे झांसे नहीं दिये। उनकी कुछ नीतियां, फैसले गलत हो सकते थे लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को गालियां नहीं दी, व्यंग्यबाण नहीं चलाये और जनता जनार्दन के बीच जा कर विपक्ष पर निराधार, झूठे, कपोल कल्पित लांछन नहीं लगाये। राहुल गांधी यह सब करते हैं, इसलिए पित्रोदा ने उन्हें बुद्धिमान और कुशल रणनीतिकार होने का प्रमाणपत्र दे दिया।

कोई पूछ सकता है कि राहुल को प्रधानमंत्री पद‌ के योग्य बताने के लिए सैम पित्रोदा ने राजीव गांधी से उनकी तुलना क्यूं की? राहुल के साथ-साथ इंडी गठबंधन के कई नेता प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं, उनसे तुलना क्यूं नहीं की? जो सामने हैं, मुकाबला या तुलना उसी से तो होगी।

कोई पूछ सकता है कि राहुल को प्रधानमंत्री पद‌ के योग्य बताने के लिए सैम पित्रोदा ने राजीव गांधी से उनकी तुलना क्यूं की? राहुल के साथ-साथ इंडी गठबंधन के कई नेता प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं, उनसे तुलना क्यूं नहीं की? जो सामने हैं, मुकाबला या तुलना उसी से तो होगी।

क्या सैम खुली आंखों से देख नहीं पा रहे हैं कि राहुल दूसरे दलों के नेताओं के कंधों पर सवार होकर राजनीति करते हैं? उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के कंधे पर परजीवी (पैरासाइटर) की भांति सवार हुए और 6 सीटें झटक लीं। उनकी जड़ें जमीन पर कही नहीं हैं। राहुल की नीति सत्ता हथियाने तक परजीवी बने रहना है। इस कुटिलता को सैम पित्रोदा रणनीतिक कुशलता बताते हैं!

जो लोग कांग्रेस की राजनीति से दूर हैं, उन्हें भी सैम पित्रोदा के बयान से ठेस पहुंची है क्योंकि राजीव गांधी ने कभी अशिष्टता, बेहूदगी, झूठ-छल-प्रपंच से राजनीति को राहुल की तरह गन्दा व कलंकित नहीं किया। यदि उनके साथ दुःखद‌ घटना न होती तो वे देश के साथ-साथ काँग्रेस को भी आगे ले जाते। उनकी मृत्यु एक बड़ी त्रासदी थी। पित्रोदा का राहुल को सर्टिफिकेट देना इससे भी बड़ी त्रासदी है।

गोविन्द वर्मा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here