झारखंड के सरकारी खजाने से गायब हो गए 2800 करोड़ रुपये

झारखंड सरकार के ट्रेजरी से विभिन्न विभागों के द्वारा एडवांस के रूप में निकाली गई 2812 करोड़ जैसी बड़ी राशि का कोई हिसाब किताब नहीं है. अधिकारियों को बार-बार निर्देशित किए जाने के बावजूद अब तक 2800 करोड़ से ज्यादा की अग्रिम राशि का हिसाब नहीं जमा हुआ है. लगभग डेढ़ महीना पहले राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव एल ख्यागते और वित्त सचिव के द्वारा सभी विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर लंबित दिलों को जमा करने का निर्देश दिया था.

इसके साथ यह भी कहा गया था की अग्रिम राशि जिसकी निकासी हुई है अगर वह खर्च नहीं हुई तो उसे वापस से ट्रेजरी में जमा करवाया जाए. बावजूद इसके लगभग 2800 करोड़ से ज्यादा रुपए की अग्रिम राशि का कोई हिसाब नहीं मिल पाया है. 2812 करोड़ की राशि में 23 साल पहले अग्रिम के रूप में निकाली गई राशि भी शामिल है.

इसे लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया “एक्स” पर पोस्ट करते हुए लिखा- विकास के लिए जो पैसे निर्धारित हैं, उन्हें सरकार और उनके मुलाजिमों की तिजोरी में डालने की साजिश चल रही है. हाल ही में, ट्रेजरी से 2,812 करोड़ रुपए निकाले गए हैं, जिन्हें सरकार अपनी झोली में डालकर बैठी है. जब इस फंड का हिसाब मांगा गया, तो सरकार चुप्पी साधे बैठी है. भ्रष्टाचार इतना बढ़ चुका है कि एक विभाग का पैसा दूसरे विभाग वाले निकाल कर हजम कर रहे हैं और जवाब तक नहीं मिलता. विकास के नाम पर जनता के पैसे का हो रहा यह दुरुपयोग, विकास की राह में सबसे बड़ी रुकावट है.

उन्होंने आगे लिखा- विकास का पैसा विकास में लगाइए, ना कि अपनी तिजोरी का वजन बढ़ाइए. सरकार को जनता के पैसे का हिसाब देना होगा और इसका सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना होगा.

बाबूलाल के बयान पर जवाब

दूसरी तरफ ट्रेजरी से जुड़े मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड की सत्ता में काबिज मुख्य राजनीतिक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा- इस तरीके के आरोप बेबुनियाद हैं. आखिर कहां घपला और घोटाला हो गया, अभी तो सरकार बनी ही है. अभी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. केवल आरोप लगा देने से नहीं होता हैय इसका प्रमाण देना होता है. तथ्यों पर बात करनी होती है. ऐसे भी बाबूलाल मरांडी आपने इसी ही तरह के बयानों के कारण अप्रसांगिक होते जा रहे हैं. किसी भी आरोप लगाने से पहले सोचें और तथ्य प्रस्तुत करें.

एसी बिल से निकल गए एडवांस राशि का हिसाब एक महीने में जमा करने का प्रावधान है. हिसाब दिए बिना आगे एडवांस नहीं निकलने के निर्देश के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा. एसी बिल से निकल गए एडवांस का हिसाब डीसी बिल द्वारा महालेखाकार को देना होता है. ऐसे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा लगाए गए आरोप के बाद झारखंड में सियासत तेज हो गई है हालांकि जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि इसके लिए जिम्मेवार कौन है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here