पुलिस के लेखा एवं गोपनीय संवर्ग के संवेदनशील पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती किए जाने का पत्र कल जारी हुआ। देर शाम ही डीजीपी मुख्यालय से यह स्पष्ट कर दिया गया कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है और यह भूलवश हो गया है। इसके बाद गुरुवार को प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने यह मुद्दा उठाया।
पुलिस के लेखा एवं गोपनीय संवर्ग के संवेदनशील पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती किए जाने का गलत पत्र जारी होने के प्रकरण की जांच शुरू कर दी गयी है। एडीजी स्थापना संजय सिंघल ने बताया कि यह पत्र किन परिस्थितियों में जारी हुआ और उसे बिना परीक्षण के शाखाओं में भेजा गया, इसकी गहनता से जांच का जिम्मा अपर पुलिस अधीक्षक, स्थापना को सौंपा गया है। जांच में दोषी पाए गये अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह पत्र चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की आउससोर्सिंग से भर्ती कराने के बारे में जारी होना था। पुलिस विभाग में 40 पदों पर आउससोर्सिंग के जरिए भर्ती करने का नियम है, जिसमें से 30 पदों पर वर्तमान में भर्ती भी होती है। लेखा, लिपिक और गोपनीय संवर्ग के उपनिरीक्षक एवं सहायक उपनिरीक्षक के पदों पर सीधी भर्ती की जाती है, जिसका अधियाचन कुछ दिन पहले पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड भेजा जा चुका है। बता दें कि उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने बीते वर्ष नवंबर माह में मिनिस्टीरियल संवर्ग के 910 पदों पर सीधी भर्ती का विज्ञापन भी जारी किया था।
प्रियंका ने मांगा सरकार से जवाब
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी पुलिस द्वारा गोपनीय पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती किए जाने का पत्र पहले जारी करने और फिर वापस लेने पर सरकार से जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अग्निवीर की तरह यूपी पुलिस में भी भर्ती करना चाहती है। उन्हें इस बारे में स्पष्ट जवाब देना चाहिए।
उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के स्तर पर आउटसोर्सिंग के जरिये भर्तियों पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में जिलों के अधिकारियों को पत्र भेजा गया था जो कि सोशल मीडिया पर वायरल है। भाजपा सरकार ने अग्निपथ योजना लाकर हमारी सेना और युवाओं का भविष्य दोनों कमजोर किया। अब यूपी पुलिस में यही खेल करने का प्रयास चल रहा है। भाजपा की सरकारें देश की हर एक संस्था को बेहतर बनाने की जगह उन्हें कमजोर करने का काम कर रही हैं।
अखिलेश बोले- आउटसोर्सिंग के पीछे काम के बदले पैसा लेने की योजना
प्रदेश में पुलिस विभाग के कुछ पदों पर आउटसोर्सिंग से भर्ती के लिए जारी सर्कुलर को लेकर अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार ने ‘पुलिस व्यवस्था’ के प्रति लापरवाही भरा नजरिया अपना रखा है, जिसकी वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट किया कि कार्यवाहक डीजीपी के बाद अब कुछ ‘पुलिस सेवाओं की आउटसोर्सिंग’ पर विचार किया जा रहा है। ठेके पर पुलिस होगी तो, न ही उसकी कोई जवाबदेही होगी, न ही गोपनीय और संवेदनशील सूचनाओं को बाहर जाने से रोका जा सकेगा। जब पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड है तो बाकायदा सीधी स्थायी नियुक्ति से सरकार भाग क्यों रही है।
उन्होंने कहा कि युवाओं को आशंका है कि इसके पीछे आउटसोर्सिंग का माध्यम बनने वाली कंपनियों से ‘काम के बदले पैसा’ लेने की योजना हो सकती है क्योंकि सरकारी विभाग से तो इस तरह पिछले दरवाज़े से ‘पैसा वसूली’ संभव नहीं है। अपने आरोप के आधार के रूप में उन्होंने कोरोना वैक्सीन बनाने वाली निजी कंपनी का हवाला दिया।अखिलेश ने कहा कि आउटसोर्सिंग का ये विचार तत्काल त्यागा जाए और उप्र के युवाओं को नियमित, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सीधी नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से नौकरी दी जाए। उन्होंने तंज कसा कि भाजपा किसी दिन सरकार को ही आउटसोर्स न कर दे।
ठेके पर पुलिस भर्ती, प्रदेश की सुरक्षा से मजाक: संजय सिंह
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने एक बार फिर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। पुलिस भर्ती को लेकर उन्होंने अपना वीडियो संदेश सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि “पहले देश की सेना में अग्निवीर के जरिए ठेके पर जवान भर्ती किए गए। अब उत्तर प्रदेश में पुलिस की भर्ती ठेके पर होने जा रही है। यह देश और उत्तर प्रदेश की सुरक्षा के साथ मज़ाक है।”
संजय सिंह ने कहा कि यूपी में इससे पहले पुलिस भर्ती पेपर लीक से 60 लाख बच्चों का भविष्य बर्बाद हुआ। अभी इसकी जांच चल ही रही थी कि अब ठेके पर पुलिस की भर्ती होने वाली है। प्रदेश की सुरक्षा के साथ जैसा मज़ाक किया जा रहा है, वैसा गुजरात में भी किया गया है।
गुजरात में भी ठेके पर पुलिस की भर्ती की जाती है। क्या गुजरात का मॉडल यूपी में लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए। क्योंकि अगर पुलिस की भर्ती ठेके पर होने लगी तो वह न ही जनता के प्रति जवाब देह रहेंगे और न ही सरकार के प्रति।