नेपाल ने रविवार को अपने इतिहास में एक और मील का पत्थर जोड़ा है। वरिष्ठ अधिवक्ता सबिता भंडारी को देश की पहली महिला अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर उनके नाम पर मुहर लगाई। यह पहली बार है जब नेपाल की सर्वोच्च कानूनी जिम्मेदारी किसी महिला को सौंपी गई है।
राष्ट्रपति कार्यालय की अधिसूचना में बताया गया कि सबिता भंडारी ने औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण कर लिया है। इससे पहले अटॉर्नी जनरल रमेश बादल ने अपना इस्तीफा दे दिया था। नेपाल की परंपरा के मुताबिक, सरकार में बदलाव होते ही अटॉर्नी जनरल आमतौर पर पद छोड़ देते हैं।
महिला नेतृत्व की ओर नया कदम
सबिता भंडारी की नियुक्ति प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के कार्यकाल में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है। खुद कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं और यह नियुक्ति देश में महिला नेतृत्व की स्थिति को और मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है।
विवादों के बीच नियुक्ति
हालांकि, इस फैसले को लेकर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। सबिता भंडारी ने पहले क्रिकेटर संदीप लामिछाने का बचाव किया था, जिन पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप लगा था। इस वजह से आलोचकों का कहना है कि उनकी निष्पक्षता और योग्यता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
अटॉर्नी जनरल की जिम्मेदारी
नेपाल के संविधान के अनुसार, अटॉर्नी जनरल सरकार के मुख्य विधिक सलाहकार होते हैं। वे न्यायपालिका में सरकार का पक्ष रखते हैं और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हैं। अब तक यह पद केवल पुरुषों के पास रहा है, लेकिन सबिता भंडारी ने इस परंपरा को तोड़ते हुए इतिहास रच दिया है।
कैबिनेट विस्तार की तैयारी
प्रधानमंत्री कार्की केवल अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने पांच नए मंत्रियों को शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है और संभावित उम्मीदवारों से बातचीत भी चल रही है। इससे स्पष्ट है कि कार्की तेज़ी से अपनी सरकार को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।