जॉर्ज सोरोस तथा अन्य भारत विरोधी धन्ना सेठों के टुकडों पर पलने वाले फेक न्यूज धड़ने वाले खबरचियों ने राष्ट्रवादी पत्रकारों को लांछित करने के लिए गोदी मीडिया का शब्द घड़ा था। एजेंडाधारी पत्रकार इसे गाली के रूप में प्रयोग करते हैं। खुद को लेकर गंगा-जमुनी तहजीब का हिमायती दिखाने में ये पत्रकार नये-नये विमर्श घड़ते हैं, तथ्यों को तोड़ते-मरोड़ते हैं और भाजपा एवं नरेन्द्र मोदी का विरोध करते करते देश हितों में पलीता लगाने से नहीं हिचकते।
कट्टरपंथी-वामपंथी एजेंडा चलाने में चेन्नई का ‘हिन्दू’ अखबार अग्रणी है। नाम ‘हिन्दू’ है लेकिन कट्टरपंथियों का अंध समर्थक है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हिन्दू पर्यटकों की नृशंस हत्या के पश्चात चेन्नई के इस अखबार ने प्रथम पृष्ठ पर 8 कॉलमों में खबर का शीर्षक दिया जिसका आशय था कि पाकिस्तान ने अपने वायु मार्ग के प्रयोग पर भारत के लिए पाबन्दी लगा दी। 28 लोगों की जघन्य हत्या के बाद पाकिस्तान के विरुद्ध भारत ने क्या कदम उठाये, यह खबर ‘हिन्दू’ ने सिंगल कॉलम में छापी। इस्लामाबाद के नैरेटिव को प्रमुखता देना और भारतीय पक्ष को कमजोर करके दिखाना या भारत सरकार को कटघड़े में खड़ा करना इन एजेंडाधारी पत्रकार और जेबी मीडिया का कार्य है।
तथ्यों की परवाह किये बिना टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहलगाम कांड से संबंधित समाचार में जम्मू कश्मीर को भारत द्वारा कब्जाया हुआ छाप दिया, यद्यपि बाद में माफी मांग ली। हमले के बाद मलयालम भाषा के एक चैनल के एंकर ने कहा कि मोदी सरकार ने मुसलमानों का विश्वास खो दिया है, इसी लिए हिन्दू मारे गए। चेन्नई के एक तमिल न्यूज चैनल पर कांग्रेस की महिला प्रवक्ता ने कहा कि पहलगाम का हमला पाकिस्तान ने नहीं, मोदी ने कराया है।
भारत के लोगों को भली भांति याद होगा कि बालाकोट कार्यवाही पर एजेंडाधारी पत्रकारों का यही रवैया था। कांग्रेस द्वारा 46 भारतीय सैनिकों की शहादत पर पाकिस्तान को निर्दोष बताने और सरकार से प्रमाण मांगने के नैरेटिव को इन्हीं जेबी पत्रकारों, मीडिया ने हवा दी थी। हर्ष कुमार तो सीधे-सीधे इन्हें बदमाश पत्रकार कहते हैं। क्या ये एजेंडाधारी बेशर्म बेहया नहीं है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रहितों से गद्दारी करते हैं? हां, ये वहीं हैं। गद्दारी का अंजाम इन्हें कभी न कभी भुगतना होगा।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’