सिब्बल ने आपराधिक कानूनों को बदलने वाले विधेयक की आलोचना की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए गए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को आरोप लगाया कि सरकार औपनिवेशिक युग के कानूनों को खत्म करने की बात करती है, लेकिन उनकी सोच यह है कि वे ऐसे कानूनों के माध्यम से तानाशाही लाना चाहते हैं।

राज्यसभा सांसद सिब्बल ने सरकार से भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम, 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को बदलने के लिए लाए गए तीनों विधेयकों को वापस लेने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि यदि नए कानून वास्तविकता बन जाते हैं, तो वे देश के भविष्य को खतरे में डाल देंगे। 

सिब्बल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, वे (एनडीए सरकार) औपनिवेशिक युग के कानूनों को खत्म करने की बात करते हैं, लेकिन उनकी सोच यह है कि वे इन कानूनों के माध्यम से देश में तानाशाही लाना चाहते हैं। वे ऐसे कानून बनाना चाहते हैं जिसके अधीन सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों, लोक सेवकों, सीएजी (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) और अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

उन्होंने कहा, मैं न्यायाधीशों से सतर्क रहने का अनुरोध करना चाहता हूं। अगर ऐसे कानून पारित किए गए तो देश का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। बीएनएस विधेयक का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा कि यह ”खतरनाक” है और अगर यह पारित हो जाता है तो सभी संस्थानों पर केवल सरकार का हुक्म चलेगा। उन्होंने आरोप लगाया, ‘मैं आपसे (सरकार से) इन (विधेयकों) को वापस लेने का अनुरोध करता हूं। हम देश का दौरा करेंगे और लोगों को बताएंगे कि आप किस तरह का लोकतंत्र चाहते हैं, जो कानूनों के माध्यम से लोगों का गला घोंट दे और उनका मुंह बंद कर दे।

पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि यह विधेयक न्यायपालिका की स्वतंत्रता के पूरी तरह विपरीत है। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, यह पूरी तरह से असंवैधानिक है, यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ पर प्रहार करता है। उनकी सोच स्पष्ट है कि वे इस देश में लोकतंत्र नहीं चाहते हैं।

सिब्बल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए-I और यूपीए-II के दौरान केंद्रीय मंत्री थे। उन्होंने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से एक निर्दलीय सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। उन्होंने अन्याय से लड़ने के उद्देश्य से एक गैर-चुनावी मंच ‘इंसाफ’ का गठन किया है।

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