गंगटोक। पूर्वी हिमालय की तलहटी में बसे हरे-भरे याकतेन गांव को एक अनोखी पहल के तहत भारत का पहला डिजिटल घुमंतू (Nomad) गांव घोषित किया गया है। इस पहचान से अब यह गांव उन पर्यटकों को आकर्षित करेगा जो प्रकृति की गोद में रहकर ‘वर्क फ्रॉम होम’ करना चाहते हैं।
यह उपलब्धि सिक्किम सरकार की “नोमैड सिक्किम” परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पर्यटन को नए स्वरूप में बढ़ावा देना है। योजना के तहत गांव में दो इंटरनेट लाइनें और पूरे क्षेत्र में वाई-फाई नेटवर्क स्थापित किया गया है। इसके साथ ही लगातार बिजली आपूर्ति के लिए बैकअप इनवर्टर भी लगाए गए हैं।
सालभर रोजगार का उद्देश्य
पाकयोंग जिले में स्थित याकतेन गांव की पहचान अब केवल एक पर्यटन स्थल तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह पूरे वर्ष होमस्टे मालिकों के लिए आमदनी का जरिया भी बनेगा। आमतौर पर पर्यटन सीजन के खत्म होने पर गांव के होमस्टे व्यवसाय को घाटा होता है। नई योजना से उम्मीद है कि यह अंतर भी पाटा जा सकेगा।
पाकयोंग के जिलाधिकारी अगावाने रोहन रमेश ने कहा, “गांव में कई उत्कृष्ट होमस्टे हैं, लेकिन टूरिस्ट सीजन के बाद आमदनी नहीं हो पाती थी। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अब पर्यटक पूरे साल यहां आ सकते हैं।”
मुख्यमंत्री की पहल का हिस्सा
यह पहल मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के ‘एक परिवार, एक उद्यमी’ विजन का हिस्सा है। इसका मकसद स्थानीय परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। याकतेन ग्राम पर्यटन सहकारी समिति भी लंबे समय से इस दिशा में प्रयासरत थी और यह योजना उनके लिए बड़ी राहत लेकर आई है।
इंटरनेट के लिए बैकअप भी तैयार
‘नोमैड सिक्किम’ योजना के सीईओ प्रेम प्रकाश ने बताया कि क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए दोहरी इंटरनेट सुविधा और जनरेटर आधारित बैकअप का भी प्रबंध किया गया है। बारिश और भूस्खलन जैसी परिस्थितियों में भी इंटरनेट सेवा बाधित न हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया है।
उन्होंने विश्वास जताया कि यह मॉडल न केवल सिक्किम के लिए बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व भारत में पर्यटन के स्वरूप को बदलने वाला साबित होगा।