तृणमूल की सुप्रीमो, पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने और टीएमसी विरोधियों को ठिकाने लगाने में माहिर हैं। उनके राज में सैकड़ों राजनीतिक हत्यायें हो चुकी हैं। वे ना-ना करते हुए भी इंडी गठबंधन के साथ हैं। उनसे प्रेरणा लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन भी ममता की राह पर चल पड़े हैं। तमिलनाडु में 24 घंटों के भीतर अन्नाद्रमुक, भाजपा व कांग्रेस के तीन नेताओं की हत्या कर दी गई।
अन्नाद्रमुक के प्रवक्ता कोवई सत्यन ने अपने पदाधिकारी पद्मनाभम की हत्या पर कहा कि पुलिस मुख्यमंत्री के इशारे को समझती है। उसमें साहस नहीं कि हत्यारों को छू सके। तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अन्नामलाई ने भाजपा नेता सेल्वा कुमार की हत्या पर शोक जताया और कहा कि तमिलनाडु में अराजकता के हालात हैं। लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या पर कोई नहीं बोला। उसका नाम तक सामने नहीं आया। खरगे, सोनिया व राहुल सब के मुंह सिल गए। उन्हें तो द्रमुक और स्टालिन से दोस्ती निभानी है। कांग्रेस कार्यकर्ता मरें, उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता।
गोविन्द वर्मा