रविवार को सरकारी कार्यालयों में पूरे भारत में अवकाश रहता है। यदि छुट्टी के दिनों में इन दफ्तरों में कोई हादसा होता है तो वहां बचाव के लिए कोई मौजूद नहीं रहता। रविकार 27 अप्रैल, 2025 को देश के दो अति महत्वपूर्ण माने जाने वाले सरकारी कार्यालयों में आग लग जाने तथा चर्चित मामलों की पत्रावलियां व दस्तावेज भस्म हो जाने वाला समाचार चौंकाने वाला है।
27 अप्रैल को प्रयागराज स्थित शिक्षा निदेशक के सिविल लाइंस स्थित मुख्य कार्यालय में रविवार को छुट्टी के दिन आग लग गई। आग जिस कक्ष में लगी उसमें अशासकीय विद्यालयों, विभागीय लेन-देन, प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों के कागजात तथा प्रदेश के विद्यालयों में अवैध नियुक्तियों के मामले संबंधी दस्तावेज और उत्तरप्रदेश में 69,000 शिक्षक नियुक्ति के दस्तावेज संग्रहित थे, जो मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इस अग्निकांड में न केवल अति महत्व की फाइलें ही राख बन गईं वरन् वे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (कम्प्यूटर हार्ड डिस्क, सीडी, पेनड्राइव आदि) भी जल कर भस्म हो गए जिनमें विभिन्न जांच घोटालों के डाटा सुरक्षित थे।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग में हुए विभिन्न घोटालों तथा अनियमितताओं पर पर्दा डालने के उद्देश्य से शिक्षा निदेशक कार्यालय में जानबूझ कर छुट्टी के दिन आग लगाई गई है। इस षडयंत्र की जांच होनी चाहिए।
प्रयागराज के अग्निकांड की भांति मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय के बलार्ड एस्टेट स्थित कार्यालम में भी रविवार की छुट्टी के दिन आग लग गई और यहां भी ईडी के चर्चित जांच मामलों से संबंधित पत्रावलियां व इलेक्ट्रॉनिक उपकरण स्वाहा हो गए। ये पत्रावलियां महाराष्ट्र सदन घोटाला, न्यू इंडिया बैंक घोटाला, अनिल देशमुख मामला, संजय राउत का पात्राचाल घोटाला, लोरेस्ट कंपनी घोटाला आदि चर्चित मामलों से संबंधित थे।
बड़े घोटालों पर पानी डालने के लिए आग लगाने की पुरानी परंपरा है। जब मुजफ्फरनगर के जिला अधिकारी कौशलराज शर्मा थे, तब तत्कालीन एडीएम राजस्व ने शुकतीर्थ में अरबों रुपये का भूमि घोटाला पकड़ा था और शुकतीर्थ के तत्कालीन लेखपाल को जेल भेज दिया गया था। इस घोटाले के लपेटे में बड़े बड़े नेता और वी.आई.पी. थे। श्री शर्मा के स्थानान्तरण के बाद कचहरी स्थित मुहाफिजखाने (दस्तावेज संग्रहालय) में छुट्टी के दिन रविवार को आग लगी, मामला निपट गया। लेखपाल भी जेल से बाहर आ गया। छुट्टी के दिन सरकारी दफ्तरों में आग लगने की यही कहानी है।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’