यह तो आक्रमण ही है


28 अक्टूबर: समाचार है कि पाकिस्तान ने 9 दिनों के भीतर अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर तीसरी बार युद्ध विराम का उल्लंघन कर भारतीय इलाकों में जबरदस्त दहशत फैला दी। भारत के अरनिया सेक्टर की 8 चौकियों के साथ ही ग्राम काकू दे कोठे, कोहली, चंगिया, पिंडी कूटवाल, चानना, तरेवा, जम्बोवाल, देवीगढ़, सई, बुल्लेचक की रिहायशों तथा हजारों बीघा धान के खेतों पर बम, व गोलियां तथा मोर्टार बरसाए हैं।

भले ही राजनयिक भाषा में इसे युद्ध विराम का उल्लंघन कहा जाता हो लेकिन व्यावहारिक रूप से यह भारत पर हमला ही है क्योंकि इस हमले में दो भारतीय सुरक्षाकर्मी घायल हो गए और बड़ी संख्या में पाठशालायें, मकानात तहस-नहस हो गए। पाकिस्तानी सेना ने इतनी जबरदस्त गोलाबारी की कि सीमावर्ती इलाकों के स्कूल बन्द हो गए और धान की कटाई में जुटे किसाव व मजदूर इस आक्रमण से घबरा कर पलायन कर गए।

भारत के टुकड़े कराने के बाद से ही विभाजनकारी व जुनूनी पाकिस्तानी नेता व वहां की सेना हमारे प्रति शत्रुता का भाव रखे हुए हैं। भारत पर बार-बार आक्रमण और जम्मू-कश्मीर के शेष इलाके को कब्जाने के उद्देश्य से पाकिस्तान आतंकवादियों का विश्वविद्यालय बना हुआ है। कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ, यहां खून-खराबा कराना पाकिस्तान पुरानी रणनीति है। घाटी में टारगेट किलिंग व खालिस्तान समर्थकों को पनाह तथा हर प्रकार की मदद देना पाकिस्तान की स्थायी दुश्मनी का प्रतीक है।

यह सन्तोष की बात है कि भारत सरकार को पाकिस्तानी कुटिलता का पूरी तरह अहसास है। एक महीने के भीतर पाकिस्तान द्वारा पोषित 27 आतंकियों को ढेर किया गया और दर्जनों घुसपैठ की घटनाओं को नाकाम किया गया।

किन्तु भारत सरकार व सुरक्षाबलों की सतत सतर्कता के बावजूद पाकिस्तान इसलिए हावी है कि उसके गुर्गे भारत में मजबूती से जड़ जमाये बैठे हैं। मुफ्ती व अब्दुल्ला परिवार खुल कर पाकिस्तान के पाले में खड़ा रहता है और कांग्रेस, वामपंथी तथा फर्जी सेक्यूलरिस्ट हर कदम पर पाकिस्तान की मदद और भारत सरकार का विरोध करते हैं, इन्हें अपनी गद्दारी पर कतई शर्मिन्दगी महसूस नहीं होती।

अत: भारत की समस्या अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर युद्ध विराम का उल्लंघन, पाकिस्तानी आतंकियों व पाकिस्तानी ड्रोनों की घुसपैठ नहीं, घर में बैठे उसके एजेंट, दलाल व पिट्ठू हैं। यह भारत की कमजोर रग है, जिसका पाकिस्तान 75 बरसों से फ़ायदा उठाता रहा है।

गोविन्द वर्मा

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