जम्मू से आने वाली ट्रेनों में भीड़, यात्रियों का हाल बेहाल

जम्मू से आने वाली ज्यादातर ट्रेनें इन दिनों पूरी तरह भरी हुई आ रही हैं। हालत यह है कि न सिर्फ सामान्य कोच बल्कि आरक्षित डिब्बों के गेट तक यात्री ठसाठस भरे रहते हैं। भीड़ बढ़ने से रोकने के लिए यात्री सभी दरवाजे बंद कर देते हैं। यहां तक कि एसी कोच में भी बैठने के लिए मारामारी मची रहती है। रविवार देर शाम जम्मू कश्मीर से आई कई ट्रेनों में यही नजारा देखा गया।

चारबाग रेलवे स्टेशन पर बैठने के लिए मारामारी

रविवार शाम जब जम्मू-कोलकाता एक्सप्रेस चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंची, तो पहले से ही वहां कोलकाता जाने वाले यात्री इंतजार कर रहे थे। ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचते ही बैठने की होड़ मच गई। ट्रेन में पहले से जम्मू के यात्री मौजूद थे, जिन्हें उतरने में भी दिक्कत हो रही थी। कई लोग खिड़कियों से बाहर निकलने पर मजबूर हुए।

घर वापसी की मजबूरी

बहराइच निवासी लियाकत अली, जो एक साल से जम्मू में रह रहे थे, अपने परिवार के साथ वापस लौट आए हैं। उन्होंने बताया कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के कारण वे अपना सारा कामकाज छोड़कर लौटने पर मजबूर हो गए। लियाकत के मुताबिक, जम्मू में उनके जैसे करीब 20 परिवार पेंटिंग का काम करते थे, लेकिन युद्ध के हालात के चलते अधिकांश लोग वापस लौट आए हैं।

तनाव के कारण कारोबार ठप

जम्मू में हाल ही में सोने का कारोबार शुरू करने वाले आमगीर भी अपने परिवार के साथ घर लौट आए। उन्होंने बताया कि उन्होंने उम्मीद की थी कि कारोबार बढ़िया चलेगा, लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव ने सब कुछ चौपट कर दिया। उन्होंने कहा कि पठानकोट में अभी भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। जम्मू में बाहर से आए ज्यादातर लोग अब शहर छोड़ने लगे हैं।

डर और अनिश्चितता का माहौल

सकलीन और मुनीरुल, जो सगे भाई हैं, ने चार महीने पहले जम्मू में गोल्ड पॉलिश का कारोबार शुरू किया था। लेकिन अब युद्ध के भय से उन्हें घर लौटना पड़ा है। उन्होंने बताया कि जम्मू के पुंछ, पठानकोट और नगरोटा जैसे क्षेत्रों में पाकिस्तान की ओर से लगातार हमले हो रहे हैं। इस कारण स्थानीय लोग घर से बाहर निकलने में भी डर महसूस कर रहे हैं।

सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता

जम्मू में मौजूदा हालात के चलते लोग दहशत में हैं। युद्ध विराम के बावजूद स्थानीय निवासियों में डर बना हुआ है। ट्रेन से लौटने वाले यात्रियों का कहना है कि जम्मू में सुरक्षा की स्थिति में अभी भी सुधार नहीं हुआ है, जिससे लोग मजबूरी में घर लौट रहे हैं।

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