कश्मीर में अघोषित युद्ध


03 नवंबर: पाकिस्तानी सेना, घुसपैठियों एवं घाटी में फैले पाकिस्तान समर्थक आतंकवादियों की हरकतें एकाएक बढ़ना चिन्ताजनक है। पिछले सप्ताह घाटी में एक साथ तीन आतंकी हमले हुए। अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में पाकिस्तान ने 9 दिनों में तीन बार भारत की अग्रिम चौकियों और रिहायशी इलाकों पर गोलियां, मोर्टार व बम दागे।

इसी के साथ सन 1990 में इस्लामी आतंकियों ने लक्षित हत्याओं का जो सिलसिला शुरू किया था, कुछ समय चुप्पी के बाद अब वह फिर शुरू हो गया है। पिछले रविवार को श्रीनगर के ईदगाह मैदान में पुलिस इस्पेक्टर मसरूर अहमद की हत्या कर दी गई थी। 30 अक्टूबर को आतंकियों ने पुलवामा जिले के तुमची नौपोरा ग्राम में उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले के भट्टा श्रमिक मुकेश कुमार पुत्र गंगा प्रसाद की हत्या कर दी। पाकिस्तानी आतंकियों ने दो वर्षों के भीतर कश्मीरी पंडितों व गैर कश्मीरी मजदूरों व फेरी वालों की दर्जनों लक्षित हत्यायें की हैं।
पाकिस्तान ड्रोन के ज़रिये हथियार, गोला-बारूद तथा विस्फोटक और नशीले पदार्थ जम्मू-कश्मीर में भेज रहा है। यह सन्तोषजनक स्थिति है कि भारतीय सुरक्षाबल सीमा पर चौकसी बनाये हुए हैं और पाकिस्तान पोषित आतंकबाद से सतर्कतापूर्वक निपट रहे हैं। सेना ने कुपवाड़ा में एक घुसपैठिये को मार गिराया। 26 अक्टूबर को माच्छिल सैक्टर में 5 इस्लामिक आतंकियों को ढेर किया था।

सुरक्षाबल, पुलिस व जांच एजेंसियां आतंकियों के समर्थकों, पनाहगारों पर भी शिकंजा कसे हुए हैं। अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद पुलिस व सरकारी महकमों में तैनात पाकिस्तानी भेदियों की नौकरियां समाप्त की गई हैं और कुछ को गिरफ्तार भी किया गया तथा बड़ी मात्रा में हथियार व विस्फोटक बरामद किये गए।

पहली नवम्बर को पुलिस ने बारामूला से लश्कर-ए-तायबा के चार मददगारों को गिरफ्तार किया गया। चैकिंग के दौरान सेना ने गुलाम हसन व मुख्तार अहमद खान को चीनी पिस्तौल व बम के साथ पकड़ा। इनके खुलासे पर अल्ताफ अहमद व फारूक को गिरफ्तार किया गया।
इस तरह सरकार व सेना को जम्मू-कश्मीर में अघोषित युद्ध लड़ना पड़ रहा है। भारत का पाकिसान व चीन के साथ कई-कई मोर्चों पर मुकाबला है किन्तु सबसे जटिल लड़ाई देश में सक्रिय दुश्मनों के पिट्ठुओं से है। राष्ट्रभक्त भारतीयों की जागरूकता और शौर्य इस जंग को निश्चित रूप से जीतेगा।

गोविन्द वर्मा

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