जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गाजा संघर्ष और इजराइल की बमबारी पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अमेरिका को गाजा में हो रही तबाही और फिलिस्तीनियों पर अत्याचार का मुख्य जिम्मेदार ठहराया। मौलाना मदनी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 देशों में से 14 ने गाजा में तुरंत युद्धविराम और मानवीय सहायता का प्रस्ताव समर्थन किया था, लेकिन अमेरिका ने वीटो पावर का उपयोग कर इसे रोक दिया।
मौलाना मदनी ने कहा, “अमेरिका का यह कदम स्पष्ट करता है कि वह गाजा की तबाही का प्रमुख जिम्मेदार है। 14 देशों ने युद्धविराम का समर्थन किया, लेकिन अमेरिका ने इसका विरोध कर अपनी मंशा जाहिर कर दी। यह साबित करता है कि अमेरिका गाजा को खाली करवाकर यहूदियों के बसने की साजिश में शामिल है, लेकिन अल्लाह की इच्छा के खिलाफ ऐसा कभी नहीं हो सकेगा।”
गाजा के लोगों की बहादुरी पर जोर देते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि फिलिस्तीन मुद्दे का स्थायी समाधान एक स्वतंत्र और संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना है। उन्होंने गाजा के एक लाख शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर संघर्ष को जीवित रखा। जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने फिलिस्तीनी स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति अपनी पूरी सहानुभूति व्यक्त की और उनकी आजादी की मांग का समर्थन किया। उन्होंने दुआ की कि अल्लाह फिलिस्तीनियों को हिम्मत दे और अन्याय करने वाली ताकतों को समाप्त करे।
इजरायली-अरबी संघर्ष क्या है?
इजरायली-अरबी संघर्ष लंबे समय से जारी है, जो मुख्य रूप से एक ही क्षेत्र पर दो समूहों के दावों को लेकर है। इस क्षेत्र को ऐतिहासिक रूप से ‘फिलिस्तीन’ कहा जाता है, जो यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों के लिए धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहूदी इसे अपनी प्राचीन मातृभूमि मानते हैं, जबकि फिलिस्तीनी इसे सदियों पुरानी अपनी जमीन समझते हैं।
संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई
19वीं सदी के अंत में यूरोप में यहूदियों के उत्पीड़न के कारण जायनिज़्म आंदोलन शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य यहूदियों के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र स्थापित करना था। इसके लिए फिलिस्तीन को चुना गया, जो उस समय ब्रिटिश शासन के अधीन था। 1917 में ब्रिटेन की बाल्फोर घोषणा ने यहूदियों के लिए एक राष्ट्रीय घर का समर्थन किया, जिससे फिलिस्तीनी असंतोष में बढ़ोतरी हुई। 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने इस क्षेत्र को दो राज्यों — इजरायल और फिलिस्तीन — में बांटने का प्रस्ताव रखा, जिसे यहूदियों ने स्वीकार किया, लेकिन अरब देशों और फिलिस्तीनियों ने ठुकरा दिया। 1948 में इजरायल ने स्वतंत्रता की घोषणा की, जिसके बाद से अरब-इजरायल युद्ध शुरू हुआ। इस युद्ध में इजरायल ने अधिकतर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और लाखों फिलिस्तीनी शरणार्थी बने। तब से कई युद्ध, संघर्ष और शांति प्रयास हुए, लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है।