अपनी तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने चीन के मुकाबले भारत को कमतर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने टेक्सास यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ राहुल की वार्ता कराई। छात्रों के संवाद से पूर्व पित्रोदा ने छात्रों को समझाया कि राहुल गांधी पप्पू नहीं हैं बल्कि बहुत पढ़ा लिखा बुद्धिमान शख्स है जो गहरी सोच रखने वाला रणनीतिकार है।
पित्रोदा के भाषण के बाद राहुल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवकसंघ पर नफरत फ़ैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार देश के योग्य व प्रतिभावान युवकों के उसी प्रकार अंगूठे काट रही है जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा था। यही कारण है कि भारत में बेरोजगारी बनी हुई है और चीन ने इस पर काबू पा लिया है। भारत को आर्थिक असमानता दूर करने व उत्पादन बढ़ाने के लिए चीन से सीखना होगा क्यूंकि वैश्विक उत्पादन में चीन का दबदबा है।
राहुल गांधी ने अल्पसंख्यकों की स्थिति की गलत तस्वीर पेश करते हुए आरोप लगाया कि भारत में सिक्खों को पगड़ी नहीं पहनने दी जाती, कड़ा नहीं पहनने दिया जाता, गुरुद्वारा नहीं जाने दिया जाता। यह सिर्फ सिक्खों के साथ नहीं बल्कि सभी अल्पसंख्यकों के साथ होता है।
भारत को तोड़ कर अलग खालिस्तान बनाने की मांग करने वाले गुरुपतवंत सिंह पन्नू और राहुल के विचारों के बीच कैसी अद्भुत समानता है! पन्नू को तो देशद्रोही माना जाता है लेकिन विदेशों में जाकर सरासर झूठी भ्रामक बातों से देश की छवि को खराब करने वाले व उत्तेजना फ़ैलाने वाले राहुल से क्या 56 इंच के सीने वाले नरेन्द्र मोदी डर गए हैं? क्या वास्तव में राहुल ने उनका मनोबल तोड़ डाला है, जैसा कि राहुल दावा करता है? देश ने तो आपको तीन-तीन बार राष्ट्र का नेतृत्व सौंप कर आप में अटूट विश्वास जताया है। आपने सर्वसमाज के हित में, देश के सर्वांगीण विकास के लिए पूरी दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए अतुलनीय काम किए हैं। गद्दारों व विदेशी दलालों के अलावा पूरा राष्ट्र हिमालय बन कर चट्टान की भांति आपके साथ खड़ा है। आपकी उपलब्धियां इतिहास के पन्नों में अंकित होकर अजर-अमर हो चुकी हैं। आपको थैला उठा कर कहीं जाने की जरूरत नहीं, क्यूंकि जीवन पर्यन्त आपने कोई शर्मिन्दगी का काम नहीं किया। इस देश में जयचन्दों और मीरजाफरों का बुरा हस्न हुआ है। ऐसा मत होने दीजिए कि सत्तालोलुप गद्दार 140 करोड़ भारतीयों की छाती पर सवार हो जाएँ। यह भारत के जन-जन की आवाज़ है। अनसुना मत कीजिए!
गोविन्द वर्मा