मीडिया पर क्यों झड़ता है राहुल का नजला?

पत्रकारों को धमकाना, झिड़कना और अपमानित करना राहुल गांधी की आदत में शुमार है। 20 अगस्त, 2024 को वे रायबरेली के ग्राम पिछवारिया पहुंचे और अर्जुन नामक युवक के परिजनों से मिले। माँ-बाप को सांत्वना दी। राहुल पिछवारिया पहुंचे तो अर्जुन-अर्जुन पासी बन गया। राहुल ने कहा- ‘यह सिर्फ अर्जुन की हत्या का मामला नहीं है पूरे पासी समाज के साथ घोर अन्याय का मामला है। आप इस अन्याय के विरुद्ध डटे रहिए। मैं आपके साथ खड़ा हूँ।’ इस खबर को प्रसारित करते हुए टीवी 18 ने टिप्पणी की कि राहुल पासी बनाम ठाकुर में टकराव का हथियार पकड़ा गए हैं।

राहुल के जमावड़े के बीच एक पत्रकार ने पूछा- ‘आप रायबरेली तो आ गए, कोलकाता नहीं गए जहा महिला डॉक्टर से दरिन्दगी की गईं है।’ इस पर राहुल गुस्से से उबल पड़े। महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी और कोलकाता न जाने तथा इस पर कांग्रेस द्वारा पूरी चुप्पी साधने का राहुल ने पत्रकार को सीधा जवाब नही दिया। इसके उलट वे प्रश्न पूछने वाले पत्रकार पर भड़क गए और उस पर आरोप लगाया कि वह पासियों पर होने वाले जुल्मों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे सवाल कर रहा है। जिस वक्त राहुल पत्रकार को धमका रहे थे, उस समय राहुल का मूड देख कर उनके समर्थक हल्ला मचाने लगे। यह हरकत मीडिया का मुँह बंद करने जैसी थी। इसका वीडियो मौजूद है।

कुछ समय पूर्व दो कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के बीच में बैठे राहुल ने प्रश्नकर्ता पत्रकार पर छींटाकशी की थी। एक पत्रकार से बड़ी बेहूदगी के साथ उसकी और उसके अखबार के मालिक की जाति पूछकर अपने समर्थकों को भड़का दिया जिन्होंने पत्रकार को पीटना शुरू कर दिया था। इसका भी वीडियो मौजूद है।

मीडिया को अप‌मानित और उस पर कटाक्ष करना राहुल की फितरत है, इस पर तुर्रा यह कि वे लोकतंत्र व प्रेस की आजादी के सबसे बड़े झंडाबरदार हैं। ये कैसे पत्रकारों को प्रताड़ित करते हैं, वीडियो इसकी गवाही देते हैं। ये प्रेस का गला घोटने वालों में से हैं। इमरजेंसी में कितने पत्रकारों को जेलों में ठूसा गया, कितने अखबारों के डिक्लेरेशन खारिज हुए, कितने प्रेसों की बिजली काटी गई, कितनों के सरकारी विज्ञापन बन्द‌ किए गए, सबका रिकॉर्ड मौजूद है। मीडिया के लिए मगरमच्छी आंसू बहाने वाले झांसा नहीं दे सकते।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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