15 अक्टूबर: समाचार है कि मुज़फ्फरनगर के थाना मीरांपुर क्षेत्र के कई ग्रामों के किसानों ने ग्राम टिकौला में पुलिस व प्रशासन के विरुद्ध प्रदर्शन किया हैं। ग्राम टिकौला, हाशिमपुर, पुट्ठी इब्राहीमपुर, समाना आदि ग्रामों के जंगलों में लगे नलकूपों से बिजली के मोटर, स्टार्टर, केबिल व अन्य कृषि यंत्रो की चोरी की घटनायें दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं किन्तु पुलिस इन चोरियों को रोकने में नाकाम है। किसानों ने मांग पेश की कि पुलिस को जंगल-जंगल, खेत-खेत पहुंच कर गश्त करनी चाहिये ताकि नलकूपों से चोरी रुक सकें।
अभी दो दिन पहले चरथावल थाना क्षेत्र के ग्रामों से भी इसी आशय के समाचार मिले थे यानी चरथावल क्षेत्र के नलकूपों से चोरियों की वारदातें बढ़ी हैं। यह केवल मीरांपुर या चरथावल क्षेत्र की ही समस्या नहीं बल्कि पूरे मुजफ्फरनगर व शामली अथवा यूं कहिये- पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की समस्या है।
हमारे अन्नदाता किसान भाइयों को भलीभांति याद होगा कि कवाल कांड के दौरान नलकूपों के मोटर आदि चुराने की घटनाओं में एकाएक बड़ा इजाफा हुआ था। जहां चोर मोटर आदि चुरा नहीं पाये, वहां ट्यूबवेल के पाइपों-बोरिंग में रेता-बजरी भर दिया गया था। जो इक्का-दुक्का किसान नलकूप पर मिल जाता, उसकी ठुकाई-पिटाई भी होती थी। किसानों ने रात्रि को नलकूपों पर जाना छोड़ दिया था।
यह स्थिति कवाल दंगों के बाद अधिक पेंचीदा हुई। चोर या असामाजिक तत्व भलीभांति समझ चुके हैं कि किसानों को ट्यूबवैल के मीटर उखाड़ने, थानों में ढोर-डंगर घुसाने, मीटर चैक करने पहुंचे स्टाफ को मुर्गा बनाने और घेराव व जाम लगाने से ही फुर्सत नहीं, वे स्वयं अपने नलकूपों की रक्षा कैसे कर सकते हैं? इसका उत्तरदायित्व तो पुलिस को निभाना है।
मुजफरनगर, शामली जनपदों में लगभग 800 ग्राम हैं। इन ग्रामों में हज़ारी नलकूप हैं। पूरे पश्चिमांचल में लाखों नलकूप है। क्या प्रदेश में इतनी पुलिस फोर्स है कि वह एक-एक नलकूप की निगरानी करे और चोरों से रक्षा करे ?
प्रश्न है कि दंगे से पहले इतनी चोरियां ट्यूबवैल पर क्यों नहीं होती थीं ? दूसरे, यदि चोर पकड़े जायें तो क्या नेता जी उनकी शिफारिश नहीं करेंगे? मुख्य प्रश्न यह है कि अब अचानक बदमाशों के हौसले क्यों बढ़ गए? क्या वे कृषक शक्ति से अब घबराते नहीं ? वह भी तो समय था जब किसान बेखौफ नलकूप व जंगलों में घूमता था।
गोविन्द वर्मा