महिला सशक्तिकरण: जोगेन्द्री बनाम चंदादेवी


महिला सशक्तिकरण को लेकर देश में काफी समय से हलचल है, विशेष रूप से महिला आरक्षण को क़ानूनी मान्यता मिलने के बाद से नेतागण महिला संरक्षण के मुद्दे को अपने-अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रहे हैं।

वास्तव में महिलाओं को समाज में आगे लाने का मुद्दा आज़ादी के बाद से तीव्रता से उठता रहा है। पं. जवाहरलाल नेहरु ने जहां डॉ. सुशीला नय्यर को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी, वहीं अपनी बहन विजयलक्ष्मी पंडित को हाई कमिश्नर भी बनाया। हमें याद है कि जब तारकेश्वरी सिन्हा बिहार से चुनकर लोकसभा पहुंचीं तब समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने सदन में हँसते हुए कहा था कि नेहरु जी की कृपा से एक खूबसूरत चेहरा सदन में आ गया है। इन्हीं डॉ. लोहिया ने यह भी कहा कि देश का सबसे बड़ा शोषित वर्ग महिलाएं हैं, जिनको आगे बढ़ाना है। लोहिया जी ने जयपुर की महारानी के विरुद्ध एक वाल्मीकि महिला को चुनाव लड़ाया। उन्होंने तब ‘महारानी बनाम मेहतरानी’ का नारा दिया था।

17 व 18 दिसंबर 2023 को हमें महिला सशक्तिकरण के दो रूप देखने, सुनने को मिले। 17 दिसंबर को मुज़फ्फरनगर की नई मंडी धर्मशाला में सोशल एक्टिविस्ट मनेश कुमार गुप्ता एडवोकेट द्वारा आयोजित नेतृत्व क्षमता विकसित करने सम्बन्धी 3 दिवसीय वर्कशॉप में सम्मलित होने का मौका मिला।

मनेश जी कई दशकों से सामाजिक जागृत के कार्यों में संलग्न हैं। ग्राम स्तर के कार्यकर्त्ता, विशेष कर महिलाओं को जागृत करने व लोकतान्त्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने का ज़ज़्बा पैदा करने और ग्रासरूट स्तर की महिलाओं का संगठन बनाने को कई दशकों से सक्रिय हैं। शांति सेना मनेश जी की इस संघर्षशीलता का प्रतीक है।

वर्कशॉप के प्रथम दिन सभी वक्ताओं ने नारी जागरण व महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर अपने-अपने दृष्टिकोण से विचार प्रकट किये। पूर्व रक्षा सचिव तथा राज्यसभा के पूर्व सेक्रट्री जनरल डॉ. योगेंद्र नारायण ने मुज़फ्फरनगर से 50 वर्षों के अपने संबंधों को ताज़ा करते हुए कहा कि मनेश गुप्ता का उनसे किस प्रकार संपर्क हुआ था, तब से वे जनजागरण के कार्यों को लेकर सक्रिय हैं।
शांति सेना के अध्यक्ष मनेश कुमार गुप्ता ने विस्तार से बताया कि गांव-गांव जाकर उन्होंने कैसे मजदूर, किसान, कामगार व गरीब महिलाओं को स्थानीय समस्याओं व मुद्दों को उठाने तथा संघर्ष करने की प्रेरणा दी। योगेन्द्री कश्यप व कुसुम पाल को मंच पर बैठा कर उनका परिचय दिया कि किस प्रकार वे संघर्षरत हैं।

इससे अगले दिन महिला सशक्तिकरण के सार्थक प्रयासों और उसकी परणीति का एक रचनात्मक परिचय टीवी के पर्दे पर देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी गए हुए थे। 18 दिसंबर को उन्होंने सेवापुरी विकासखंड की स्वयं सहायता समूह की महिला लाभार्थियों से सीधा संवाद किया। ग्राम बरकी की महिला चंदा देवी ने प्रधानमंत्री को बताया कि उसने ग्रुप में रहकर कितनी प्रगति की है और एक वर्ष में एक लाख 30 हजार रुपये कमाए हैं। चंदा देवी से जब श्री मोदी ने कहा कि आप चुनाव क्यों नहीं लड़ लेतीं तो उसने कहा कि चुनाव नहीं लड़ुँगी, हम तो आपसे प्रेरणा लेकर समाज के उत्थान का कार्य कर रहे हैं। गौरतलब है कि चंदा देवी बैंक सखी का भी कार्य करती है और उससे भी उन्हें
आमदनी होती है।

स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री को महिला सशक्तिकरण, उनके विकास व प्रगति के लिए बहुत साधन व शक्तियां उपलब्ध हैं। दूसरी और महिला सशक्तिकरण के ज़मीनी कार्यकर्त्ता के समक्ष इस कार्य में बड़ी बढ़ाएं व समस्याएँ आड़े आती हैं। श्री मोदी देश की आंतरिक समस्याओं व बाहरी संकटो से जूझते हुए महिला सशक्तिकरण के लिए सार्थक प्रयास कर रहे हैं जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। यह परिस्थिति का एक सार्थक पहलू है। देश को अथवा महिला वर्ग को आगे बढ़ने के लिए जहां संघर्ष और बुलंद आवाज की आवश्यकता है, वहीं संघर्ष को रचनात्मक दिशा देने की भी जरूरत है।

मुज़फ्फरनगर में 27 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक स्वयं सहायता समूहों की जो प्रदर्शनी हुई थी उसमे नारी की संघर्ष-शीलता व रचनात्मक प्रयासों की झलक देखी गयी थी, यही नारी शक्ति व देश की उन्नति का मार्ग है। संघर्ष व सकाराकत्मक्ता के समन्वय से सकल समाज व देश आगे बढ़ेगा।

गोविन्द वर्मा

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