केंद्र को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार- महत्वपूर्ण मुद्दे पर केवल एक पेज का जवाब

उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पीएम केयर्स फंड को राज्य घोषित करने की मांग संबंधी याचिका पर मात्र एक पृष्ठ का जवाब दाखिल करने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा जनहित याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल किया जाना चाहिए। अदालत ने केंद्र को अब मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि भले ही पिछले साल जनहित याचिका दायर की गई थी और अंतिम दलीलें शुरू हो गई हैं, लेकिन याचिका के जवाब में केवल एक पेज का जवाब दाखिल किया गया है, वह भी पीएम केयर्स फंड द्वारा, उचित नहीं है।पीठ ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान द्वारा उठाए गए तर्कों के बारे में हलफनामे में कुछ नहीं है और मुद्दा आसान नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा इस तरह के एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर केवल एक पेज का जवाब?  इससे आगे कुछ नहीं? इतना महत्वपूर्ण मुद्दा और केवल एक पृष्ठ का उत्तर है। दूसरे पक्ष के विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता जो तर्क दे रहे हैं, उसके बारे में कोई कानाफूसी नहीं है। मसला इतना आसान नहीं है। हमें एक उचित उत्तर की आवश्यकता है।
 मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि मामले में एक उचित उत्तर की भी आवश्यकता है क्योंकि न्यायालय को दीवान द्वारा उठाए गए प्रत्येक मुद्दे पर एक आदेश पारित करना है और चाहे उसका निर्णय कोई भी हो, यह मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय में जाएगा। दीवान ने कोर्ट को बताया कि केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने का अवसर दिया गया है लेकिन केंद्र ने चुप रहना चुना और मामले को खींचने की कोशिश की।हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई घसीटा नहीं गया है और केंद्र चार सप्ताह के भीतर विस्तृत प्रतिक्रिया देगा। अदालत ने केंद्र को चार सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करेन का निर्देश देते हुए सुनवाई 16 सितंबर तय की है। पीएम केयर्स फंड के मुद्दे पर दायर याचिका में तर्क रखा गया है संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत इसे राज्य घोषित करने का प्रयास आधार है, दूसरी याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत फंड एक सार्वजनिक प्राधिकरण है।

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