दिल्ली जल संकट: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमारे पास फॉर्मूला तय करने की विशेषज्ञता नहीं

दिल्ली में पानी के संकट को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों के बीच यमुना जल के बंटवारे से जुड़ा मामला जटिल और संवेदनशील मुद्दा है. सुप्रीम कोर्ट के पास फॉर्मूला तय करने की विशेषज्ञता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पानी के बंटवारे का मामला अपर यमुना रिवर बोर्ड पर छोड़ दिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यमुना बोर्ड को कल सभी पक्षों के साथ बैठक बुलाने और मामले पर जल्द निर्णय लेने का भी निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि अपर यमुना रिवर बोर्ड ने पहले ही दिल्ली सरकार से मानवीय आधार पर अतिरिक्त 152 क्यूसेक पानी के लिए आवेदन जमा करने का अनुरोध किया है. ऐसा आवेदन जो पहले नहीं किया गया हो उसे कल तक दिल्ली सरकार कर दे. बोर्ड को आवेदन पर जल्द से जल्द निर्णय लेगा. यदि आवश्यक हो तो दिन-प्रतिदिन बोर्ड बैठकें बुला सकता है.

इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार टैंकर माफिया के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रही है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा था. सरकार ने आज गुरुवार को कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वो कोई कार्रवाई नहीं कर सकती. सरकार ने इसकी वजह भी बताई. वहीं हिमाचल प्रदेश ने पिछला बयान वापस लेते हुए कोर्ट से कहा कि उसके पास 136 क्यूसेक अतिरिक्त पानी नहीं है.

दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, वो टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती, क्योंकि वे यमुना के दूसरे किनारे से पानी ले रहे हैं जो हरियाणा में पड़ता है. सरकार ने कहा कि अदालत इस मामले में हरियाणा से पूछे कि कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था सवाल

इससे पहले बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में टैंकर माफिया हैं और दिल्ली सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही. आप अगर कुछ नहीं कर पा रहे तो हम दिल्ली पुलिस को जिम्मेदारी सौंपे. आखिर आपने क्या कदम उठाए हैं. पानी बेवजह बर्बाद हो रहा है और कोई कदम नहीं उठाया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमने कदम उठाए हैं और अगर पुलिस भी एक्शन ले तो हमें खुशी होगी. दिल्ली सरकार ने कहा हम हलफनामा दाखिल कर देंगे. शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर ये सुनवाई कर रही है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में जल संकट को कम करने के लिए हिमाचल प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराए गए पानी को जारी करने के लिए हरियाणा को निर्देश देने की मांग की गई थी.

जल संकट पर जमकर राजनीति हो रही…

दिल्ली में जल संकट पर जमकर राजनीति हो रही है. दिल्ली सरकार पानी की किल्लत के लिए हरियाणा सरकार को दोषी ठहरा रही है. जल मंत्री आतिशी ने कहा कि हरियाणा आवश्यक 1050 क्यूसेक पानी नहीं छोड़ रहा है. आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से भी मुलाकात की थी. विनय सक्सेना ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह हरियाणा सरकार से बात करके सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रीय राजधानी के हिस्से का 1,050 क्यूसेक पानी मुनक नहर में छोड़ा जाए.

आतिशी ने बताया कि दिल्ली में पानी की जरूरत का पैमाना औसत रूप में लगाया जाता है एक आदमी को एक दिन में तकरीबन 150 लीटर पानी चाहिए होता है. दिल्ली की आबादी 2.5 करोड़ के करीब है. इस हिसाब से तकरीबन 990 MGD पानी चाहिए होता है. तकरीबन 1000 MGD की जरूरत होती है.अभी हरियाणा से कम पानी आने की वजह से अभी दिल्ली का पानी का उत्पादन 1005 MGD होता था, लेकिन अब तकरीबन 40 MGD पानी का कम उत्पादन हो रहा है.

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